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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और इसके साथ ही NDA के खेमे में हलचल तेज हो गई है. बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक का सबसे बड़ा एजेंडा था - सीटों का बंटवारा, जो इस बार NDA के लिए सबसे बड़ी और सबसे जटिल चुनौती बनकर उभरा है.

क्यों फंसा है सीटों का पेंच?

NDA में इस बार कई दल हैं और हर किसी की अपनी-अपनी मांगें हैं, जिससे सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बनाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

JDU: 2020 में खराब प्रदर्शन के बावजूद, नीतीश कुमार की JDU कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है.

चिराग पासवान की LJP (रामविलास): पिछली बार JDU के खिलाफ उम्मीदवार उतारने वाली चिराग की पार्टी इस बार NDA का अहम हिस्सा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे 40 सीटों की मांग कर रहे हैं.

जीतन राम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की RLM: ये छोटे दल भी अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं. मांझी ने तो सार्वजनिक रूप से 35-40 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान तक कर दिया है.

पिछली बार क्या था फॉर्मूला?

2020 के चुनाव में, BJP ने 110 सीटों पर लड़कर 74 पर जीत हासिल की थी, जबकि JDU ने 115 सीटों पर लड़कर सिर्फ 43 सीटें जीती थीं. चिराग पासवान की LJP ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और माना जाता है कि उन्होंने कम से कम 30 सीटों पर JDU का खेल बिगाड़ा था.

इस बार स्थिति बिल्कुल अलग है. NDA के सभी सहयोगी दल एक साथ हैं, लेकिन उनकी बढ़ी हुई मांगें बीजेपी के 'चाणक्य' अमित शाह के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं. दिल्ली में हुई इस बैठक में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा समेत कई बड़े नेता मौजूद थे, और अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या शाह इस उलझे हुए समीकरण को सुलझा पाते हैं.

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