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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाने के उद्देश्य से, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने राज्य को वैश्विक पर्यटन केंद्र में बदलने का संकल्प लिया है, जिसका लक्ष्य पर्यटन क्षेत्र को राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20 प्रतिशत का योगदानकर्ता बनाना है।

नायडू ने घोषणा की कि आंध्र प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बनेगा जहां 'पर्यटन-अनुकूल नीतियां' लागू की जाएंगी। इन नीतियों का उद्देश्य न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को भी आकर्षित करना है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य 2047 तक हर साल 1 करोड़ विदेशी पर्यटकों और 10 करोड़ घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करना है, जिससे आंध्र प्रदेश विश्व स्तर पर शीर्ष तीन पर्यटन स्थलों में से एक बन जाए।

मुख्यमंत्री ने पर्यटन क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया, ताकि इससे लाखों रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। उनका मानना है कि पर्यटन सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक विकास का एक शक्तिशाली इंजन है।

राजधानी अमरावती को पुनर्जीवित करने का वादा करते हुए, नायडू ने इसे एक विश्व स्तरीय पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित करने की बात कही। उन्होंने गांडीकोटा, अराकू, भवानी द्वीप और रुशिकोंडा जैसे अन्य प्रमुख स्थलों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने की योजना बताई। नायडू ने पिछली सरकार पर पर्यटन परियोजनाओं को रोकने और इस क्षेत्र में निवेश की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार पिछली गलतियों को सुधारेगी।

उन्होंने आंध्र प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राचीन मंदिरों, मनमोहक समुद्र तटों, शांत झीलों और हरे-भरे परिदृश्यों का उल्लेख किया, जो पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने 'जिम्मेदार पर्यटन' (Responsible Tourism) पर जोर दिया, ताकि स्थानीय समुदायों और पर्यावरण को भी लाभ मिल सके।

नायडू ने दोहराया कि पर्यटन को राज्य के समग्र विकास से जोड़ा जाएगा, जिससे आंध्र प्रदेश एक समृद्ध और खुशहाल राज्य बन सके।

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