Up Kiran, Digital Desk: सोचिए कैसा लगता होगा जब आप सालों बाद उस जगह लौटते हैं, जहाँ आपके बचपन की सबसे खूबसूरत यादें बसी हों? जहाँ की दीवारों पर आज भी आपके कदमों की आहट और दोस्तों के साथ की गई मस्ती की गूंज सुनाई देती हो। ऐसा ही कुछ महसूस किया जानी-मानी एक्ट्रेस और डायरेक्टर नंदिता दास ने, जब वह सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के खास मौके पर दिल्ली में अपने पुराने स्कूल 'सरदार पटेल विद्यालय' पहुँचीं।
यह सिर्फ एक विजिट नहीं थी, बल्कि यादों की एक भावुक यात्रा थी, जिसने उन्हें फिर से उनके बचपन से मिला दिया।
क्यों खास था यह मौका?
सरदार पटेल विद्यालय की स्थापना सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों और सिद्धांतों पर ही हुई थी। इसलिए उनकी 150वीं जयंती का दिन स्कूल के लिए एक बहुत बड़ा उत्सव था, और इस उत्सव को और भी खास बनाने के लिए स्कूल ने अपनी एक सबसे कामयाब छात्रा, नंदिता दास को बुलाया था। नंदिता ने न सिर्फ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया, बल्कि बच्चों के साथ अपने पुराने दिनों को भी याद किया।
यादों के गलियारों में नंदिता दास
अपने पुराने क्लासरूम, लाइब्रेरी और खेलने के मैदान को देखकर नंदिता बेहद भावुक हो गईं। उन्होंने स्कूल असेंबली में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, "आज मैं जो कुछ भी बन पाई हूँ, उसकी नींव इसी स्कूल में रखी गई थी। यहाँ सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जिंदगी को देखने का एक नजरिया भी मिला।"
उन्होंने याद किया कि कैसे उनके स्कूल में बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं को बराबर सम्मान देना सिखाया जाता था। उन्होंने बताया कि कैसे यहाँ के टीचर्स ने उन्हें हमेशा सवाल पूछने और अपनी सोच को खुलकर सामने रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि एक सोच है, जिसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया।"
नंदिता ने बच्चों के साथ बातचीत की, उनके सवालों के जवाब दिए और उन्हें भी अपनी जड़ों से जुड़े रहने की सलाह दी। उन्हें अपने बीच पाकर स्कूल के बच्चे और टीचर्स भी बेहद खुश नजर आए। यह दिन न सिर्फ सरदार पटेल को याद करने का था, बल्कि यह देखने का भी था कि कैसे एक अच्छा स्कूल और अच्छी शिक्षा इंसान की जिंदगी को कितना खूबसूरत बना सकती है। नंदिता दास की यह यात्रा हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो मानता है कि हमारी असली पहचान हमारी जड़ों से ही होती है।




