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 Kiran, Digital Desk: आज का दिन हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक सुनहरी याद और एक गहरे दुख का दिन है। आज, यानी 3 मई को, बॉलीवुड की महानतम अभिनेत्रियों में से एक, नरगिस दत्त की पुण्यतिथि है। नरगिस ने अपने दौर में न सिर्फ बॉलीवुड पर राज किया, बल्कि अपनी आखिरी सांस तक अपने अभिनय और व्यक्तित्व से लोगों के दिलों में बसी रहीं। शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद भी उनकी एक दिली ख्वाहिश थी जो अधूरी रह गई - अपने बेटे संजय दत्त को फिल्मी पर्दे पर एक हीरो के रूप में देखना।

विडंबना देखिए, बेटा हीरो बना भी और आज बॉलीवुड का सुपरस्टार भी है, लेकिन मां की यह हसरत पूरी न हो सकी। संजय दत्त की पहली फिल्म 'रॉकी' सिनेमाघरों में लगने वाली थी, लेकिन इसकी रिलीज से ठीक 3 दिन पहले ही नरगिस दत्त कैंसर से अपनी जंग हार गईं और दुनिया को अलविदा कह दिया। आज उनकी पुण्यतिथि पर फैंस उन्हें शिद्दत से याद कर रहे हैं। आइए, इस मौके पर नरगिस दत्त की जिंदगी के कुछ पहलुओं को जानते हैं।

महज 6 साल की उम्र में रखा था फिल्मी दुनिया में कदम

नरगिस दत्त को हिंदी सिनेमा के अनमोल रत्नों में गिना जाता है। उन्होंने बहुत छोटी उम्र में, महज 6 साल की उम्र में, 1935 में आई फिल्म 'तलाश-ए-हक' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। अपने तीन दशक लंबे करियर में उन्होंने 'मदर इंडिया', 'श्री 420', 'बरसात', 'आवारा', 'चोरी चोरी' जैसी अनगिनत कालजयी और यादगार फिल्में दीं। अभिनय के साथ-साथ वह सामाजिक रूप से भी सक्रिय रहीं और 1980 में राज्यसभा की सदस्य भी मनोनीत हुईं।

3 मई 1981 को अग्नाशय के कैंसर (Pancreatic Cancer) के कारण उनका निधन हो गया। नरगिस ने मशहूर अभिनेता सुनील दत्त से शादी की थी और उनके तीन बच्चे हैं - संजय दत्त, प्रिया दत्त और नम्रता दत्त।

फिल्म 'संजू' में दिखी मां-बेटे के रिश्ते की झलक

नरगिस दत्त और उनके बेटे संजय दत्त के बीच के गहरे और भावनात्मक रिश्ते की एक खूबसूरत झलक हमें राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित संजय दत्त की बायोपिक 'संजू' (2018) में देखने को मिली थी। इस फिल्म में मनीषा कोइराला ने नरगिस का किरदार निभाया था, जबकि रणबीर कपूर संजय दत्त बने थे।

फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे न्यूयॉर्क में अपने कैंसर के इलाज के दौरान नरगिस अपने बेटे संजय के लिए ऑडियो संदेश रिकॉर्ड करती थीं। फिल्म का वह सीन बहुत भावुक करने वाला था, जब संजय दत्त इन टेप रिकॉर्डिंग्स को सुनते हैं। इन संदेशों ने न सिर्फ संजय को भावनात्मक संबल दिया, बल्कि उन्हें नशे की लत से बाहर आने में भी बहुत मदद की।

संजय दत्त का वो भावुक पल

संजय दत्त का एक पुराना इंटरव्यू भी अक्सर वायरल होता है, जिसमें वह अपनी मां और उनके आखिरी संदेशों के बारे में बात करते हुए भावुक हो जाते हैं। संजय बताते हैं कि जब उनकी मां का निधन हुआ, तब वह रोए नहीं थे, लेकिन करीब दो साल बाद जब उनके एक दोस्त ने उन्हें वो रिकॉर्डिंग सुनाई, तो वह खुद को रोक नहीं पाए और 4-5 घंटे तक फूट-फूट कर रोते रहे।

उन ऑडियो टेप्स में नरगिस अपने बेटे को जिंदगी की अहम सीख दे रही थीं। वह कह रही थीं, "संजू, किसी भी चीज से बढ़कर, अपनी विनम्रता बनाए रखना। अपना चरित्र कभी मत खोना। कभी दिखावा मत करना। हमेशा विनम्र रहना और हमेशा बड़ों का सम्मान करना। यही वो चीज है जो तुम्हें जिंदगी में बहुत आगे ले जाएगी और यही तुम्हें तुम्हारे काम में ताकत देगी।"

नरगिस दत्त भले ही अपने बेटे की कामयाबी की पहली सीढ़ी उसे चढ़ते हुए नहीं देख पाईं, लेकिन उनकी यादें, उनकी फिल्में और उनकी सीख आज भी लाखों लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

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