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Israel Palestine Conflict: हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद यूपी की राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए। छोटे इमामबाड़े से लेकर बड़े इमामबाड़े तक हजारों की संख्या में लोग उतरे थे। नसरल्ला 27 सितंबर को इजराइल के हवाई हमले में मारा गया था। हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद भी इजराइल ने लेबनान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले जारी रखे।

नसरल्लाह 1992 में 30 साल की उम्र में हिजबुल्लाह के महासचिव बने। अगले 32 वर्षों में उन्होंने हिज़्बुल्लाह को न केवल लेबनान में बल्कि मध्य पूर्व में एक बड़ी ताकत बना दिया। वह इजराइल का नंबर एक दुश्मन था। अंततः नसरल्लाह एक इज़रायली हमले में मारा गया। हसन नसरल्लाह की हत्या के विरोध में रविवार को हुसैनाबाद फूड स्ट्रीट बंद रही। दुकानों और घरों पर काले झंडे फहराये गये। हजारों पुरुषों और महिलाओं ने मोमबत्तियाँ और मोबाइल टॉर्च के साथ सड़क रैली में भाग लिया।

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने हसन नसरल्लाह के निधन पर 3 दिन के शोक की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अगर एक नसरल्लाह शहीद हुआ तो कई नसरल्लाह पैदा होंगे। शाम करीब पांच बजे छोटे इमामबाड़ा पर लोग जुटने लगे। रात होते-होते यह संख्या हजारों में पहुंच गई। इसके बाद मोमबत्तियों और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इजराइल अमेरिका मुर्दाबाद और सैयद हसन नसरुल्लाह अमर रहे के नारों के साथ रैली निकाली गई। इस रैली के चलते सुबह 6 से 9 बजे तक अजादारी रोड का ट्रैफिक बंद रहा। सड़कों पर सिर्फ आंदोलनकारी जमा थे।

बड़े इमामबाड़े की सड़कों पर इजरायली झंडा और राष्ट्रपति नेतन्याहू की तस्वीरें लगी हुई थीं। लोगों ने इजरायली झंडे को रौंदकर विरोध जताया। इसके साथ शाही गेट पर सलाम और शहादत के जिक्र के साथ नसरल्लाह की तस्वीर भी थी। नसरल्लाह की मौत में शिया समुदाय की हजारों महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए। इस बार मौलाना ने इजरायली प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नसरल्लाह आतंकवादी नहीं बल्कि नेतन्याहू आतंकवादी हैं।

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