img

Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में सरकार का नजरिया साफ कर दिया. उन्होंने बंदूक उठाने वाले कैडरों से सीधी और सरल भाषा में अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें और मुख्यधारा में लौट आएं. उन्होंने कहा, "जो लोग आत्मसमर्पण करना चाहते हैं और हिंसा छोड़ना चाहते हैं, उनका रेड कार्पेट पर स्वागत किया जाएगा."

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत' कार्यक्रम में बोलते हुए गृह मंत्री ने बताया कि सरकार सिर्फ सुरक्षाबलों के भरोसे नहीं है, बल्कि विकास और बातचीत के जरिए इस समस्या को जड़ से खत्म करना चाहती है.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि उनके आने के बाद से नक्सली हिंसा में भारी कमी आई है. गृह मंत्री ने कुछ आंकड़े भी सामने रखे, जिनसे पता चलता है कि 2004 से 2014 की तुलना में 2014 से 2024 के बीच नक्सली हमलों में सुरक्षाकर्मियों की मौत में 70% और आम नागरिकों की मौत में 85% की कमी आई है.

यह भी बताया गया कि पिछले कुछ सालों में 10,500 से ज्यादा माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि सैकड़ों को या तो मार गिराया गया है या गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा, "हम किसी को मारना नहीं चाहते." सरकार की आत्मसमर्पण नीति काफी अच्छी है और हिंसा छोड़ने वालों को फिर से जिंदगी शुरू करने का पूरा मौका दिया जाएगा.

गृह मंत्री ने कहा कि यह सिर्फ बंदूक की लड़ाई नहीं, बल्कि एक विचारधारा की भी लड़ाई है. उन्होंने कहा कि अब उन लोगों की पहचान करने की जरूरत है, जो पर्दे के पीछे से इन संगठनों को वैचारिक, कानूनी और आर्थिक मदद पहुंचाते हैं. उन्होंने समाज से भी अपील की कि वे ऐसी कट्टरपंथी सोच को खारिज करें, जबकि सुरक्षाबल हिंसा का जवाब सख्ती से देते रहेंगे.

उन्होंने जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे वहां विकास और बेहतर कानून-व्यवस्था से हालात सुधरे हैं, वैसा ही यहां भी होगा. गृह मंत्री ने भरोसा जताया कि 31 मार्च, 2026 तक भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर लिया जाएगा.