Up kiran,Digital Desk : उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि लोक सेवा आयोग देश की शासन व्यवस्था की गुणवत्ता, ईमानदारी और प्रभावशीलता तय करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सार्वजनिक परीक्षाओं में किसी भी तरह की गड़बड़ी, चाहे वह सीमित स्तर पर ही क्यों न हो, संस्थाओं की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की ढील नहीं दी जानी चाहिए।
हैदराबाद में आयोजित राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया की नैतिक जिम्मेदारियों पर जोर दिया।
निष्पक्षता ही सार्वजनिक भर्ती की असली ताकत
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि निष्पक्षता ही सार्वजनिक भर्ती की नैतिक नींव है। उन्होंने बताया कि पारदर्शिता, अनाम मूल्यांकन और वस्तुनिष्ठ अंकन प्रणाली जैसे उपाय चयन प्रक्रिया में पक्षपात को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में लोक सेवा आयोगों को दी गई स्वायत्तता ने भर्ती प्रक्रिया में मेरिट, निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुरक्षित रखा है। केंद्र और राज्य स्तर पर पीएससी ने दशकों से निष्पक्ष चयन के जरिए प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखी है और जनता का भरोसा मजबूत किया है।
भर्ती के बाद भी जरूरी है निरंतर निगरानी
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि केवल एक बार की भर्ती से आजीवन उत्कृष्टता सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इसके लिए निष्पक्ष प्रदर्शन मूल्यांकन, सतत निगरानी और समय-समय पर समीक्षा की जरूरत होती है। उनका कहना था कि संस्थाओं की ईमानदारी बनाए रखने के लिए यह प्रक्रिया लगातार चलती रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि चरित्र और नैतिक आचरण ही राष्ट्र निर्माण और जनविश्वास की सबसे मजबूत नींव होते हैं।
आज के सिविल सेवकों में ये गुण भी जरूरी
सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि मौजूदा समय में प्रभावी शासन के लिए सिविल सेवकों में केवल शैक्षणिक योग्यता ही काफी नहीं है। इसके साथ नैतिक विवेक, भावनात्मक समझ, नेतृत्व क्षमता और टीम के साथ काम करने की योग्यता भी जरूरी है।
उन्होंने सुझाव दिया कि लोक सेवा आयोगों को ज्ञान आधारित परीक्षाओं के साथ-साथ व्यवहारिक और नैतिक क्षमताओं के निष्पक्ष और संरचित आकलन पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरिट सिर्फ मौजूद नहीं होनी चाहिए, बल्कि वह साफ तौर पर दिखाई भी देनी चाहिए।
गौरतलब है कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन 19 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था।




