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Up Kiran, Digital Desk: भारत पर 50% का भारी-भरकम टैक्स (टैरिफ) लगाने के एक दिन बाद ही, अमेरिका ने अपना रुख और भी सख्त कर लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के शीर्ष आर्थिक सलाहकार ने गुरुवार को एक और कड़ी चेतावनी जारी करते हुए साफ कर दिया है कि अगर भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं किया, तो अमेरिका इन दंडात्मक टैरिफ पर कोई नरमी नहीं बरतेगा।

अमेरिकी राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने भारत के साथ व्यापार वार्ता को "जटिल" (complicated) बताया और भारत पर अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने में "अड़ियल रवैया" (intransigence) अपनाने का आरोप लगाया।

अगर भारतीय पीछे नहीं हटे: केविन हैसेट

केविन हैसेट ने एक बहुत ही सीधी और सख्त बात कही, "अगर भारतीय पीछे नहीं हटते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति ट्रंप भी पीछे हटेंगे।"

यह बयान ऐसे समय आया है जब बुधवार को ही अमेरिका ने ब्राजील के बाद भारत पर सबसे ज्यादा, 50% का टैरिफ लगा दिया है।

हैसेट ने आगे कहा कि भारत के साथ बातचीत कई वजहों से जटिल है। उन्होंने दावा किया कि इसका एक हिस्सा "उस दबाव से जुड़ा है जो हम रूस पर शांति समझौते के लिए डालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि लाखों लोगों की जान बचाई जा सके। और फिर भारतीयों का अपने बाजारों को हमारे उत्पादों के लिए खोलने को लेकर अड़ियल रवैया भी है।"

बातचीत को बताया 'मैराथन दौड़'

हैसेट ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता की तुलना एक मैराथन दौड़ से करते हुए कहा कि इसके लिए एक लंबी सोच और यह स्वीकार करने की जरूरत है कि अंतिम समझौते तक पहुंचने से पहले कई "उतार-चढ़ाव" आएंगे।

दूसरे सलाहकार ने भी लगाए थे आरोप

ट्रंप के सलाहकार का यह बयान अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट की पिछली टिप्पणियों से मेल खाता है। बेसेंट ने भी कहा था कि भारत पर यह भारी टैरिफ "सिर्फ रूस से तेल खरीदने की वजह से नहीं है," बल्कि इसलिए भी है क्योंकि व्यापारिक सौदे पर बातचीत बहुत लंबी खिंच रही है।

बेसेंट ने निराशा जताते हुए कहा था, "मुझे लगा था कि हम मई या जून तक कोई समझौता कर लेंगे... लेकिन उन्होंने (भारत ने) हमें एक तरह से टरका दिया।" उन्होंने यह भी दावा किया कि बातचीत के दौरान नई दिल्ली "थोड़ी असहयोगी" रही है और यह रिश्ता "बहुत जटिल" है।