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25 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट फातिमा हासोना की जिंदगी गाजा के युद्ध की विभीषिका का जीवंत दस्तावेज थी। उन्होंने अपने कैमरे के लेंस से न केवल युद्ध की क्रूरता को दुनिया के सामने लाया, बल्कि उस तबाही को भी कैद किया। इसमें उनके अपने परिवार के 10 सदस्य, जिसमें उनकी गर्भवती बहन भी शामिल थी। सभी मौत की नींद सो गए। इस हमले में पच्चीस की जान चली गई।

फातिमा ने कहा था कि  मैं साधारण मौत नहीं मरना चाहती। मैं चाहती हूं कि मेरी तस्वीरें दुनिया को मेरी कहानी हमेशा याद दिलाएं। उनकी यह इच्छा उनकी मृत्यु के बाद भी पूरी हो रही है।

उड़ा रखी थी इजरायल की नींद

फातिमा हासोना ने गाजा में एक साल तक इजरायली बमबारी और युद्ध की भयावहता को अपने कैमरे में कैद किया। हर पल मौत का खतरा मंडराने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने हजारों लोगों को मरते, बेघर होते और जिंदगी के लिए जूझते देखा। उनकी तस्वीरें गाजा की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने का सशक्त माध्यम बनीं।

सोशल मीडिया पर फातिमा ने लिखा था कि मैं शानदार मौत चाहती हूं। मैं नहीं चाहती कि मेरी मौत केवल ब्रेकिंग न्यूज बने या मरने वालों की गिनती में मेरा नंबर जोड़ा जाए। मैं चाहती हूं कि मेरी तस्वीरें दुनिया में हमेशा जिंदा रहें।

निजी त्रासदी और नुकसान

फातिमा की जिंदगी में त्रासदी तब आई, जब उत्तरी गाजा में उनके घर पर बम गिरा। इस हमले में उनका पूरा परिवार मारा गया, जिसमें उनकी गर्भवती बहन भी शामिल थी। फातिमा भी इस हमले में अपनी जान गंवा बैठीं। उनकी शादी होने वाली थी, मगर युद्ध ने उनके सपनों को रौंद दिया।

फातिमा ने उस भयावह मंजर को भी अपने कैमरे में कैद किया, जब उनके घर पर हमला हुआ। उनकी तस्वीरें और कहानियां आज भी दुनिया को गाजा की तबाही की याद दिलाती हैं।