Up Kiran, Digital Desk: गाजा पट्टी में बढ़ते मानवीय संकट और इजराइल की नई सैन्य रणनीति पर वैश्विक नाराजगी के बीच, जर्मनी ने एक साहसिक और मानवीय रुख अपनाते हुए इजराइल को हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा पर पूरी तरह नियंत्रण स्थापित करने की मंशा जाहिर की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चिंता और विरोध बढ़ा है।
जर्मनी ने उठाया कड़ा कदम, इजराइल को झटका
अमेरिका के बाद इजराइल का सबसे करीबी और प्रमुख व्यापारिक साझेदार माने जाने वाला जर्मनी अब इस संघर्ष में दूरी बनाता दिख रहा है। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने साफ किया है कि बर्लिन अब इजराइल को हथियार नहीं भेजेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि जर्मनी हमास के खिलाफ इजराइल के संघर्ष का समर्थन करता है, लेकिन गाजा में सैन्य कार्रवाई के उद्देश्यों और उसके परिणामों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो गया कि हथियार आपूर्ति पर रोक लगाई जाए।
मानवीय संकट को बताया मुख्य कारण
जर्मन नेतृत्व ने इस फैसले के पीछे गाजा के नागरिकों की पीड़ा को प्रमुख कारण बताया। चांसलर मर्ज़ ने कहा कि मौजूदा हालात में यह आशंका बनी हुई है कि इजराइल द्वारा हथियारों का इस्तेमाल गाजा के भीतर नागरिक आबादी पर हो सकता है, जिससे स्थिति और बदतर हो सकती है। जर्मनी ने यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय मानवीय जिम्मेदारी के तहत लिया है ताकि फिलीस्तीनी नागरिकों को राहत सामग्री पहुंच सके। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने भी गाजा में खाद्य संकट और मानवीय सहायता में बाधा को लेकर चिंता जताई थी।
नेतन्याहू ने जताई नाराजगी
जर्मनी के इस फैसले से इजराइली नेतृत्व नाखुश है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने व्यक्तिगत रूप से जर्मन चांसलर से बात कर इस निर्णय पर नाराजगी जताई। इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बयान में कहा गया है कि जर्मनी ने हमास के खिलाफ लड़ाई में इजराइल का साथ देने के बजाय आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से इनाम दिया है।
यूक्रेन को समर्थन बरकरार
जहां एक ओर जर्मनी ने गाजा संघर्ष को देखते हुए इजराइल को सैन्य मदद रोक दी है, वहीं दूसरी ओर उसने यूक्रेन के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जर्मनी यूक्रेन को सैन्य सहायता बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि जर्मनी के भीतर ही इस दोहरे रवैये को लेकर आलोचना हो रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, खुद चांसलर की पार्टी के कई सदस्य इस फैसले को रूस के साथ टकराव बढ़ाने वाला कदम मान रहे हैं।
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