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Up Kiran, Digital Desk: सिटी ऑफ डेस्टिनी' के नाम से मशहूर विशाखापत्तनम (वाइजैग) जल्द ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक बड़ा केंद्र बन सकता है. हाल ही में भारत में नीदरलैंड की राजदूत, मैरियेट्जे Schaake, ने विशाखापत्तनम का दौरा किया और यहां विकास की अपार संभावनाओं में गहरी दिलचस्पी दिखाई.

अपने दौरे के दौरान, उन्होंने विशाखापत्तनम पोर्ट अथॉरिटी (VPA) के अधिकारियों और शहर के अन्य प्रमुख लोगों से मुलाकात की. इस बातचीत का मुख्य फोकस यह था कि नीदरलैंड और विशाखापत्तनम किन-किन क्षेत्रों में मिलकर काम कर सकते हैं.

किन क्षेत्रों में दिखी सहयोग की उम्मीद?

नीदरलैंड अपने बेहतरीन बंदरगाहों, खासकर रॉटरडैम पोर्ट और समुद्री व्यापार मैनेजमेंट के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. राजदूत ने कहा कि विशाखापत्तनम पोर्ट में भी विकास की वैसी ही क्षमता है.

बंदरगाह का विकास: नीदरलैंड, वाइजैग पोर्ट को एक वर्ल्ड-क्लास 'ग्रीन पोर्ट' बनाने में अपनी टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञता साझा कर सकता है. इसका मकसद पोर्ट से होने वाले कारोबार को बढ़ाना और पर्यावरण के मानकों का भी ध्यान रखना है.

ग्रीन हाइड्रोजन और सस्टेनेबल एनर्जी: भविष्य की ऊर्जा यानी ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में भी नीदरलैंड एक ग्लोबल लीडर है. राजदूत ने इस क्षेत्र में मिलकर काम करने की इच्छा जताई, जिससे विशाखापत्तनम को एक ग्रीन एनर्जी हब बनाने में मदद मिल सकती है.

औद्योगिक विकास: पोर्ट के आस-पास के औद्योगिक गलियारे को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है, इस पर भी चर्चा हुई. डच कंपनियां यहां निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में मदद कर सकती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

यह दौरा सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं था, बल्कि यह भारत और नीदरलैंड के बीच बढ़ते व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों का एक प्रतीक है. अगर इन योजनाओं पर काम आगे बढ़ता है, तो आने वाले समय में विशाखापत्तनम न केवल आंध्र प्रदेश, बल्कि पूरे देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.