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Up Kiran, Digital Desk: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बहुत बड़ा उलटफेर हुआ है, जिसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। इस्लामी दुनिया के दो सबसे ताकतवर देश, पाकिस्तान और सऊदी अरब, ने एक-दूसरे के साथ एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते (Defence Deal) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कोई मामूली समझौता नहीं है, बल्कि इसके अंदर एक ऐसी शर्त है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।

क्या है इस डील की सबसे खतरनाक शर्त?

इस रक्षा समझौते के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से को "आर्टिकल 2" कहा जा रहा है। इसके मुताबिक, अबसे दोनों देशों में से किसी एक पर भी अगर कोई हमला होता है, तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। इसका सीधा मतलब यह है कि अगर कल को कोई देश पाकिस्तान पर हमला करता है, तो सऊदी अरब इसे खुद पर हमला मानेगा और पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आएगा, और इसी तरह पाकिस्तान भी सऊदी अरब के लिए करेगा।

इस समझौते पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान अल सऊद ने जेद्दाह में हस्ताक्षर किए।

क्यों है यह भारत के लिए चिंता की बात?

यह डील सीधे तौर पर भारत को टारगेट नहीं करती, लेकिन इसके रणनीतिक मायने बहुत गहरे हैं:

बढ़ जाएगी पाकिस्तान की ताकत: इस समझौते के बाद पाकिस्तान को सऊदी अरब जैसा एक बेहद अमीर और ताकतवर साथी मिल गया है। किसी भी युद्ध की स्थिति में सऊदी अरब की आर्थिक और सैन्य मदद पाकिस्तान को पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत बना सकती है।

भारत पर बढ़ेगा दबाव: भारत के सऊदी अरब के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। लेकिन इस समझौते के बाद, अगर भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो भारत पर सऊदी अरब के साथ अपने रिश्तों को लेकर एक दबाव बन सकता है।

बदल जाएगा शक्ति संतुलन: यह डील दक्षिण एशिया में शक्ति के संतुलन को बदल सकती है। अब तक पाकिस्तान को सिर्फ चीन का एक मजबूत सहयोगी माना जाता था, लेकिन अब उसे सऊदी अरब का भी खुला समर्थन मिल गया है।

इस समझौते ने पाकिस्तान को एक बड़ी जीत दिलाई है और उसे मध्य-पूर्व की राजनीति में एक अहम खिलाड़ी बना दिया है। अब देखना यह होगा कि भारत इस नई चुनौती का सामना करने के लिए अपनी विदेश नीति में क्या बदलाव करता है।