Up Kiran, Digital Desk: क्रिकेट की दुनिया की सारी बड़ी तोपें इस वक्त दुबई में जमा हो रही हैं। मौका है इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी (ICC) की अहम बोर्ड मीटिंग का। दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष इस बैठक में पहुंच रहे हैं, लेकिन सबकी निगाहें सिर्फ दो लोगों पर टिकी हैं - बीसीसीआई (BCCI) के सचिव जय शाह और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के नए नवेले अध्यक्ष मोहसिन नकवी।
यह बैठक सिर्फ रूटीन एजेंडा के लिए नहीं है, बल्कि इसके पीछे कूटनीति का एक बहुत बड़ा खेल चल रहा है, जिसके केंद्र में है 'एशिया कप 2026'।
क्यों खास है यह मीटिंग? मोहसिन नकवी का डेब्यू
यह आईसीसी बोर्ड मीटिंग पीसीबी के नए चेयरमैन मोहसिन नकवी के लिए पहली बड़ी परीक्षा है। पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री होने के साथ-साथ पीसीबी चीफ का पद संभाल रहे नकवी का यह पहला मौका है जब वह आईसीसी के मंच पर बीसीसीआई और दूसरे बोर्ड्स के अधिकारियों से आमने-सामने मिलेंगे। क्रिकेट की कूटनीति को वह कैसे संभालते हैं, इस पर सबकी नजरें रहेंगी।
BCCI का ‘मिशन एशिया कप’
भले ही यह मीटिंग आईसीसी की हो, लेकिन खबर है कि बीसीसीआई इसे एक मौके के तौर पर इस्तेमाल करने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, बीसीसीआई इस बैठक के साइडलाइन में एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के सदस्य देशों के साथ एक अनौपचारिक बैठक करेगा और यहीं पर एशिया कप 2026 को लेकर एक बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
क्या है BCCI का एजेंडा?
एशिया कप की मेजबानी: खबर है कि बीसीसीआई 2026 के एशिया कप की मेजबानी भारत में करना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान इस पर अड़ंगा लगा सकता है क्योंकि भारतीय टीम पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगी।
हाइब्रिड मॉडल पर बहस: पिछली बार की तरह, इस बार भी 'हाइब्रिड मॉडल' (कुछ मैच पाकिस्तान में और भारत के मैच किसी न्यूट्रल वेन्यू पर) का प्रस्ताव आ सकता है। लेकिन बीसीसीआई इस बार इसके लिए तैयार होगा या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है।
पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति? बीसीसीआई शायद दूसरे एशियाई देशों को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश करेगा कि सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स के लिहाज से टूर्नामेंट का आयोजन किसी एक ही देश (जैसे UAE या श्रीलंका) में कराना सबसे बेहतर विकल्प है, जिससे पाकिस्तान अकेले पड़ सकता है।
यह बैठक सिर्फ क्रिकेट के फैसलों के लिए नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही 'क्रिकेट डिप्लोमेसी' का भी एक बड़ा अखाड़ा बनने जा रही है। एक तरफ जहां पीसीबी चीफ मोहसिन नकवी अपनी छाप छोड़ने की कोशिश करेंगे, वहीं दूसरी तरफ बीसीसीआई एशिया में अपने दबदबे को और मजबूत करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहेगा। अब देखना यह है कि इस कूटनीति के खेल में किसकी जीत होती है।

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