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Boycott NDA: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के चलते देश का राजनीतिक पारा उफान पर है। इस विधेयक ने जहां एक ओर राजनीतिक दलों के बीच तनातनी बढ़ा दी है। वहीं मुस्लिम संगठनों ने इसे लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।

बीते कल प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान के बहिष्कार का फैसला कर रही है।

संगठन ने साफ कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर इन नेताओं के रुख को देखते हुए वह इनके इफ्तार, ईद मिलन और अन्य कार्यक्रमों से दूरी बनाएगा। इतना ही नहीं, जमीयत ने देश के अन्य मुस्लिम संगठनों से भी इस सांकेतिक विरोध में शामिल होने की अपील की है। साथ ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद का समर्थन करने वाले लोगों ने कहा है कि वो आने वाले चुनाव में इन लोगों ने वोट भी नहीं देंगे।

उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में इन नेताओं पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये नेता सरकार के संविधान विरोधी कदमों का समर्थन कर रहे हैं। देश में इस समय जो हालात हैं खासकर अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों के साथ हो रहा अन्याय और अत्याचार वो किसी से छिपा नहीं है। लेकिन ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि खुद को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों का हमदर्द बताने वाले ये नेता सत्ता के लालच में चुप्पी साधे हुए हैं।

सियासी समीकरण और नेताओं की चुप्पी

आपको बता दें कि नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के प्रमुख सहयोगी हैं। इस मुद्दे पर अब तक खुलकर कुछ नहीं बोले हैं। जद(यू), तेदेपा और लोजपा (रामविलास) के सांसदों के जरिए इनका समर्थन विधेयक के पक्ष में जा सकता है। जिसे लेकर मुस्लिम संगठन इन नेताओं से नाराज हैं।