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political analysis: जेडीयू के वक्फ (संशोधन) बिल 2025 के समर्थन ने पार्टी के भीतर और बाहर तूफान खड़ा कर दिया है। इस बिल को लेकर मुस्लिम नेताओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है, जिसके चलते कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। ये घटना बिहार की सियासत में एक नए मोड़ की ओर इशारा कर रही है। क्या नीतीश कुमार की जेडीयू अब मुस्लिम समुदाय का भरोसा खो देगी और वक्फ बिल का विरोध करने वाली पार्टियों की ओर उनका रुख बढ़ेगा? आइए इस सवाल की तह तक जाते हैं।

वक्फ बिल के समर्थन के बाद जेडीयू के कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। मोहम्मद कासिम अंसारी, मोहम्मद शाहनवाज मलिक और तबरेज़ सिद्दीकी जैसे नेताओं ने अपने इस्तीफे में नीतीश कुमार पर secularism के झंडाबरदार होने का भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया।

इस्तीफों की बाढ़ और मुस्लिम नाराजगी

मुस्लिम समुदाय की नाराजगी कोई नई बात नहीं है। 2017 में जब नीतीश ने महागठबंधन छोड़कर भाजपा का दामन थामा, तब से मुस्लिम समुदाय में उनके प्रति अविश्वास बढ़ता गया। फिर भी, जेडीयू ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 17 में से 16 सीटें जीतीं और 2020 के विधानसभा चुनाव में भी ठीक-ठाक प्रदर्शन किया। सवाल उठता है कि क्या ये नाराजगी वोटों में तब्दील होगी

सन् 2019 और 2020 के चुनाव परिणामों से साफ है कि जेडीयू की जीत में मुस्लिम वोटों की भूमिका उतनी बड़ी नहीं रही, जितना भाजपा के संगठन और हिंदू वोटों का योगदान। इस हिसाब से अगर मुस्लिम समाज नीतीश से दूरी बनाता है तो भी जेडीयू का कुछ नुकसान नहीं होगा।