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Waqf Amendment Bill: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को संसद और राज्यसभा में पास होने के बाद बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू पर विपक्ष का हमला तेज हो गया है। इस विधेयक के समर्थन को लेकर अल्पसंख्यक वोट बैंक में अपनी साख बचाने की चुनौती झेल रही जदयू ने शनिवार को पटना में अपने प्रदेश कार्यालय में स्थिति साफ की।

पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार को पांच अहम शर्तों को मानने पर ही समर्थन दिया गया। इसके चलते जदयू ने बिल का समर्थन किया। मगर क्या यह सफाई विपक्ष के हमलों को शांत कर पाएगी? आइए इस सियासी ड्रामे की हर परत को खोलते हैं।

सत्ताधारी पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं की मौजूदगी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने साफगोई से बात रखी। उन्होंने कहा कि हमने वक्फ संशोधन बिल को लेकर केंद्र से कुछ शर्तें रखी थीं। जब इन सुझावों को मान लिया गया, तो हमने समर्थन देने में कोई हर्ज नहीं देखा।

जदयू की पांच शर्तें जानें

पहली शर्त- जदयू ने मांग की थी कि जमीन राज्य का मामला है, इसलिए नए कानून में इसकी प्राथमिकता बनी रहे।
दूसरी शर्त ये है कि पुरानी तारीख से लागू न हो: पार्टी नहीं चाहती थी कि ये कानून रेट्रोस्पेक्टिव (पूर्व प्रभावी) हो।
तीसरी शर्त- अगर वक्फ की कोई संपत्ति रजिस्टर्ड नहीं है, मगर उस पर मस्जिद या दरगाह बनी है, तो उसे छेड़ा न जाए।
चौथी शर्त- संपत्ति विवादों के निपटारे के लिए जिलाधिकारी से ऊंचे अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाए।
पांचवी शर्त- वक्फ संपत्तियों के डिजिटाइजेशन के लिए छह महीने की तय सीमा को बढ़ाया जाए।

 

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