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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में उस वक्त एक नया मोड़ आ गया जब मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर सदन में चर्चा के दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया। जहां जनता उम्मीद कर रही थी कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जुड़े इस अहम विषय पर स्पष्टता मिलेगी, वहीं विधानसभा की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। बुधवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के वक्तव्य के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तीखे हस्तक्षेप ने बहस को गर्मा दिया, जिसके चलते सदन को दोपहर 2 बजे तक स्थगित करना पड़ा।

मतदाता सूची और पारदर्शिता पर सवाल

तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विधानसभा में जो मुद्दे उठाए, वे केवल राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि आम लोगों की चिंता को भी दर्शाते हैं। उनका कहना था कि एसआईआर (Special Intensive Revision) की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता ज़रूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस प्रक्रिया के विरोध में नहीं है, लेकिन इसकी टाइमिंग और निष्पादन को लेकर सवाल उठाना ज़रूरी है।

तेजस्वी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह प्रक्रिया लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू की जानी चाहिए थी, ताकि इसमें पलायन करने वाले नागरिकों को भी शामिल किया जा सके। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का कार्यक्षेत्र नहीं है, बल्कि उसकी भूमिका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की है।

सदन में तीखी बहस और पुरानी यादें

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरजेडी शासनकाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब और तब की स्थिति में काफी अंतर है और उनकी सरकार ने बीते दो दशकों में काफी कार्य किए हैं। साथ ही, उन्होंने याद दिलाया कि तेजस्वी उस समय छोटे थे जब उनके पिता लालू यादव मुख्यमंत्री थे।

वहीं, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी पर आरोप लगाया कि वे जनता को भटका रहे हैं। इस बयान के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस और तेज हो गई।

आमजन की नजर से सियासी टकराव

इस सत्र के केवल तीन दिन शेष हैं और विधानसभा में इस प्रकार का हंगामा आम लोगों के लिए निराशाजनक है। मतदाता सूची जैसी संवेदनशील प्रक्रिया, जो हर नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकार से जुड़ी है, उस पर राजनीतिक खींचतान के चलते चर्चा अधूरी रह जाना गंभीर संकेत देता है।

विपक्षी विधायकों द्वारा काले कपड़े पहनकर किया गया प्रदर्शन यह दर्शाता है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से जनता के सामने ले जाना चाहते हैं। तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में यह भी दोहराया कि संविधान ने 18 वर्ष की आयु पार कर चुके सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया है, और इसमें कोई भी तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी बाधा नहीं आनी चाहिए।

 

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