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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीतिक तस्वीर लगातार बदल रही है और इसके केंद्र में अब एक नया मोड़ आया है लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की हालिया बयानबाज़ी। हाल तक जो नेता नीतीश कुमार की सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर घेरते नहीं थक रहे थे, वही अब आने वाले चुनावों में नीतीश को एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखने का दावा कर रहे हैं। यह बयान ना सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि आम मतदाता के लिए भी कई सवाल खड़े कर रहा है।
चिराग का यू-टर्न: गठबंधन की मजबूरी या रणनीतिक शिफ्ट?
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) एकजुट होकर लड़ेगा और चुनाव परिणामों के बाद नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी निष्ठा दोहराते हुए कहा कि भाजपा और सहयोगी दलों का गठबंधन चुनाव में विजयी होगा।
इस बयान ने इसलिए भी ध्यान खींचा क्योंकि कुछ समय पहले तक चिराग पासवान लगातार नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे। ऐसे में अब उनके सुर का बदलना राजनीतिक विश्लेषकों के लिए आश्चर्य का विषय है।
मतदाता सूची और आधार कार्ड विवाद पर जवाब
बात सिर्फ गठबंधन की रणनीति तक सीमित नहीं रही। चिराग पासवान ने आधार कार्ड में जन्मस्थान की जानकारी न होने को लेकर उठे विवाद पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि नाम हटाने जैसी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जा रही है और नागरिकों को तीन स्तरों पर अपील करने का अवसर मिलेगा। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी वैध मतदाता के साथ अन्याय नहीं होगा, बल्कि फर्जी प्रविष्टियों को हटाया जाएगा ताकि घुसपैठियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अनुचित लाभ न मिल सके।
क्या यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
राजनीति में अचानक बदले हुए बयान अक्सर किसी गहरी रणनीति की ओर इशारा करते हैं। चिराग का यह रुख ऐसे समय पर आया है जब बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार ने महागठबंधन और एनडीए दोनों का हिस्सा रहकर सत्ता में बने रहने की नीति अपनाई है, जिससे मतदाताओं में असमंजस की स्थिति बनी है।
अब जब चिराग पासवान जैसे नेता खुले तौर पर नीतीश के समर्थन में बोल रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गठबंधन जमीन पर क्या असर डालेगा।
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