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Up Kiran, Digital Desk: बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस बार इस सियासी घमासान के केंद्र में हैं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस। हैरानी की बात यह है कि यूनुस पर हमला सत्ता पक्ष ने नहीं, बल्कि मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने किया है।

आखिर विपक्ष यूनुस से क्यों है नाराज़?

दरअसल, प्रोफेसर यूनुस ने हाल ही में देश के राजनीतिक संकट और लोकतंत्र की स्थिति पर कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियाँ की थीं। आमतौर पर विपक्ष को सरकार की आलोचना करने वालों से खुश होना चाहिए, लेकिन यहाँ मामला उल्टा पड़ गया है।

BNP का कहना है कि प्रोफेसर यूनुस के बयान देश में अस्थिरता और भ्रम पैदा कर रहे हैं। पार्टी का मानना है कि यूनुस की इन बातों के पीछे एक "गहरी साज़िश" है, जिससे देश में अराजकता का माहौल बन सकता है।

विपक्ष को किस बात का है डर: BNP इस समय एक बड़े आंदोलन की तैयारी में है। उनकी मुख्य माँग है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार इस्तीफ़ा दे और चुनाव एक निष्पक्ष ‘केयरटेकर सरकार’ की देखरेख में कराए जाएँ, ताकि चुनाव में कोई धांधली न हो।

BNP के नेताओं को डर है कि यूनुस के बयानों से पैदा हुआ विवाद उनके मुख्य आंदोलन से लोगों का ध्यान भटका सकता है। उनका आरोप है कि यूनुस के बयान अप्रत्यक्ष रूप से सत्तारूढ़ अवामी लीग को ही फ़ायदा पहुँचा रहे हैं, क्योंकि इससे विपक्ष की एकता और आंदोलन कमज़ोर हो सकता है। एक BNP नेता ने तो यहाँ तक कह दिया कि प्रोफेसर यूनुs लोकतंत्र के लिए "ख़तरा" बन गए हैं।

साफ़ है कि बांग्लादेश का चुनावी माहौल बेहद दिलचस्प हो गया है। जहाँ एक तरफ़ सरकार और विपक्ष के बीच सीधी लड़ाई है, वहीं अब नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के इस विवाद में आने से राजनीति ने एक नया और अप्रत्याशित मोड़ ले लिया है।