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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में सीमांचल एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वजह हैं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जो चुनावी मैदान में उतरते ही न सिर्फ सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष पर भी तीखे हमले कर रहे हैं। सीमांचल की जनता को न्याय दिलाने की बात करते हुए ओवैसी ने अपनी तीन दिवसीय ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ की शुरुआत किशनगंज से की, जहां मुस्लिम आबादी का अनुपात सबसे अधिक है।
“बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा अगर NDA जीती” — ओवैसी का दावा
एक टीवी इंटरव्यू के दौरान ओवैसी ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि इस बार बिहार में यदि एनडीए को बहुमत मिला तो CM भाजपा का नेता बनेगा, नीतीश कुमार नहीं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब एनडीए में अंदरूनी समीकरणों को लेकर अटकलें पहले से ही तेज हैं।
“मुस्लिम वोट काटने” के आरोपों पर जवाब
जब ओवैसी से यह पूछा गया कि विपक्ष उन्हें भाजपा की 'बी टीम' कहकर आरोप लगाता है कि वह मुस्लिम वोटों को बांटने का काम कर रहे हैं, तो उन्होंने इसे सिरे से नकारते हुए कहा कि यह सिर्फ सियासी चालें हैं। उनका कहना था कि अगर विपक्षी दलों को एआईएमआईएम से डर नहीं है तो फिर बातचीत से क्यों भागते हैं? लालू यादव के घर के बाहर उनके समर्थकों की मौजूदगी पर ओवैसी ने कहा कि विरोधी भी अगर आपके घर आएं तो बात करने से परहेज नहीं होना चाहिए।
2020 का अनुभव, इस बार की रणनीति
बीते विधानसभा इलेक्शन में सीमांचल की पांच सीटों पर जीत दर्ज कर ओवैसी ने चौंकाया था। हालांकि बाद में इनमें से चार विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे एआईएमआईएम को झटका जरूर लगा। इस बार पार्टी पहले से अधिक तैयार नजर आ रही है और सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है।
INDIA गठबंधन में शामिल होने की शर्त
ओवैसी ने यह भी साफ किया कि अगर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ उन्हें छह सीटें देने के लिए तैयार हो जाए, तो वे सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से तेजस्वी यादव को कई पत्र भेजे गए हैं जिनमें यह प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर गठबंधन से सकारात्मक जवाब नहीं मिला, तो यह साबित हो जाएगा कि असली फायदा भाजपा को किसकी वजह से मिल रहा है।