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Up Kiran, Digital Desk: कल ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध मिली हार के बाद pratika rawal के स्ट्राइक रेट और उनके ओपनिंग उपयुक्तता पर चर्चा जोर पकड़ गई। मगर यह आलोचना भारतीय बल्लेबाजी की समस्या का केवल एक पहलू है। बीच के ओवरों में धीमी रन गति पूरी टीम की सामूहिक चुनौती थी।

स्मृति मंधाना ने अच्छी शुरुआत की और 36 गेंदों में 34 रन बनाए। मगर उनकी बल्लेबाजी भी बीच में धीमी हो गई। अगले 26 गेंदों में उन्होंने केवल 24 रन जोड़े, जिसमें 14 रन दो चौकों और एक छक्के से आए। बाकी 23 गेंदों में उन्होंने मात्र 10 रन बनाए और आउट हो गईं।

प्रतीका ने 43 गेंदों में 36 रन बनाए, जो मंधाना के आंकड़ों के करीब था। मगर बाद में 53 गेंदों में वह केवल 28 रन ही जोड़ पाई। विशेष रूप से स्मृति के आउट होने के बाद हरलीन देओल के साथ उनकी साझेदारी में गति और भी धीमी थी। इस दौरान pratika rawal ने 29 गेंदों में 14 रन बनाए। हरलीन भी 24 गेंदों में 14 रन बनाने में संघर्ष कर रही थीं।

इसके बाद हरमनप्रीत कौर ने 9 गेंदों में 11 रनों की तेज पारी खेलकर अच्छे संकेत दिए। हालांकि, हरलीन के प्रदर्शन में सुधार तब आया जब हरमनप्रीत आउट हुईं और अंतिम ओवरों में उन्होंने 22 गेंदों पर 32 रन बनाए। कुल मिलाकर उनकी तेज़ी तब आई जब पारी का अंत करीब था।

प्रतीका को अकेले दोषी ठहराना अनुचित है क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि धीमी रन गति के लिए पूरे टीम के खिलाड़ी जिम्मेदार थे। हरलीन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया कि पिच बाहर से तो बल्लेबाजों के अनुकूल दिख रही थी, मगर अंदर जाकर गेंद धीमी थी, जिससे उन्हें समय लेने की जरूरत पड़ी।

ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की अनुशासन और कड़ा गेंदबाजी भारतीय बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल बना रही थी। मुल्लांपुर में अगला वनडे होने वाला है, जहां भारतीय टीम को बेहतर तैयारी के साथ मैदान पर उतरना होगा।

इस हार से यह साफ़ हो गया है कि बीच के ओवरों की धीमी रन गति का जिम्मा किसी एक खिलाड़ी पर नहीं डाला जा सकता। भारत को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सफलता के लिए पूरे बल्लेबाजी क्रम को इस दबाव को साझा करना होगा ताकि वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें।