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Up Kiran, Digital Desk: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मंगलवार को अपनी पार्टी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनावी प्रक्रिया में ईमानदारी से प्रयास किया, लेकिन दुर्भाग्यवश वह सफल नहीं हो सके। हालांकि, वह इस असफलता की पूरी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अपने अनुभव से सीखकर मज़बूती से वापसी करेगी और अब पीछे मुड़कर नहीं देखेगी।

प्रशांत किशोर ने कहा, "हमने ईमानदारी से कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। मैं इसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूँ। हम अपनी गलतियों को सुधारेंगे, और फिर से मजबूत होकर मैदान में लौटेंगे।"

"मौन उपवास पर रहूँगा, आत्मनिरीक्षण करूंगा" - प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने खुद को अपने फैसलों और रणनीतियों पर ग़ौर करने के लिए एक दिन के मौन उपवास का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा, "हमने पूरी ईमानदारी से अपनी तरफ से प्रयास किया, लेकिन कहीं न कहीं हम चूक गए। मैं अपनी गलती मानता हूँ, और इसलिए मैं एक दिन के मौन उपवास पर रहकर आत्मनिरीक्षण करूंगा। मुझे खेद है कि मैं अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सका।"

"वोट न मिलना अपराध नहीं है, हम पर कोई आरोप नहीं"

प्रशांत किशोर ने साफ तौर पर कहा कि वोट न मिलने को अपराध नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा, "हमने जातिवाद या धार्मिक ताने-बाने में नहीं उलझकर, पूरी कोशिश की थी। हमने समाज में ज़हर फैलाने की कोशिश नहीं की। हम पर कोई भी ग़लत काम करने का आरोप नहीं लगाया जा सकता। वोट न मिलना कोई अपराध नहीं है।"

किशोर ने इस संदर्भ में यह भी कहा कि जिन लोगों ने जनता को गलत तरीके से प्रभावित किया या वोट खरीदने की कोशिश की, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने महाभारत के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा, "भले ही अभिमन्यु मारा गया, लेकिन न्यायप्रिय पक्ष ने महाभारत जीती थी। अंत में जीत हमारी ही होगी।"

पहली बार किसी सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया

प्रशांत किशोर ने चुनाव परिणामों के संदर्भ में एक और अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब किसी भारतीय सरकार ने अपने चुनावी वादों में जनता पर 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया। इस वादे के चलते एनडीए को बड़ा बहुमत मिला। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि मतदाता 10,000 रुपये में अपना वोट बेच रहे हैं, लेकिन यह पूरी तरह से झूठ है। "हमारे लोग अपनी या अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेच सकते।"

चुनाव में सरकारी कर्मचारियों की भूमिका पर उठाए सवाल

किशोर ने कहा कि चुनाव के दौरान सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध रही। उन्होंने आरोप लगाया कि हर विधानसभा सीट पर सरकारी अधिकारी 10,000 रुपये देने और 2 लाख रुपये का ऋण देने का वादा कर रहे थे। इसके अलावा, जीविका दीदियों को भी ड्यूटी पर तैनात किया गया था, ताकि लोगों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि अगर एनडीए सत्ता में आया, तो उन्हें यह फायदे मिलेंगे।