
Up Kiran, Digital Desk: आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट (मतदाता सूची) को अपडेट करने के काम पर अब सुप्रीम कोर्ट की पैनी नज़र है। सोमवार को एक अहम सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक बहुत ही सख्त और साफ चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि अगर बिहार में वोटर लिस्ट को अपडेट करने के तरीके में कोई भी गड़बड़ी पाई गई, तो इस पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।
मामला बिहार का, लेकिन फैसला पूरे देश के लिए
यह मामला भले ही बिहार की वोटर लिस्ट से जुड़ा हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि उसका फैसला सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं रहेगा। कोर्ट ने कहा, "हम इस मुद्दे पर टुकड़ों में फैसला नहीं सुना सकते।"
इसका मतलब है कि वोटर लिस्ट को अपडेट करने के तरीके की वैधता पर कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा, वह एक नजीर बन जाएगा और भविष्य में पूरे भारत में होने वाले ऐसे सभी कामों पर समान रूप से लागू होगा। यह फैसला आने वाले चुनावों के लिए एक नया नियम तय कर सकता है।
"संवैधानिक संस्था हैं, पर कानून से ऊपर नहीं"
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, और यह मानकर चला जाता है कि वह अपने सभी काम कानून और नियमों के दायरे में ही कर रहा है।
लेकिन, कोर्ट ने तुरंत यह भी साफ कर दिया कि अगर नियमों के उल्लंघन का कोई सबूत सामने आता है, तो यह धारणा हमें दखल देने से नहीं रोकेगी। यानी, अगर गलती हुई है, तो कोर्ट चुप नहीं बैठेगा।
7 अक्टूबर को होगी आखिरी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अंतिम बहस के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। उस दिन, अदालत इस बात की गहराई से जांच करेगी कि चुनाव आयोग द्वारा अपनाया गया तरीका कानूनी रूप से सही है या नहीं और जो भी आरोप लगाए गए हैं, उनमें कितना दम है।