img

Up Kiran, Digital Desk: एक समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती की मिसालें पूरी दुनिया में दी जाती थीं. ह्यूस्टन का 'हाउडी, मोदी!' और अहमदाबाद का 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम... ये सिर्फ इवेंट नहीं थे, बल्कि दो बड़े देशों के नेताओं के बीच की गहरी केमिस्ट्री और गर्मजोशी का सबूत थे. लेकिन अब, डोनाल्ड ट्रंप के ही एक पूर्व करीबी सहयोगी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन का कहना है कि "वो दिन अब लद गए."

जॉन बोल्टन, जो ट्रंप के कार्यकाल में व्हाइट हाउस के सबसे अहम चेहरों में से एक थे, ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि दोनों नेताओं के बीच वह खास रिश्ता और तालमेल अब खत्म हो चुका है.

बोल्टन ने क्यों कही यह बात?

बोल्टन का मानना है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में हाल के दिनों में जो तनाव आया है, उसने इस ব্যক্তিগত दोस्ती पर भी असर डाला है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद उभरे हैं और अब पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रही.
बोल्टन का इशारा उन हालिया विवादों की तरफ था, जिन्होंने दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी खटास पैदा की है. उन्होंने साफ कहा कि भले ही कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है, लेकिन पर्दे के पीछे अब वो व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस नहीं होता, जो पहले ट्रंप और मोदी के बीच साफ दिखता था.

इस बयान के क्या हैं मायने?

जॉन बोल्टन का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह ट्रंप के काम करने के तरीके को बहुत करीब से जानते हैं. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में नेताओं के व्यक्तिगत रिश्ते अक्सर बड़े फैसलों पर असर डालते हैं. मोदी और ट्रंप की दोस्ती ने भारत को कई मोर्चों पर फायदा पहुंचाया था, चाहे वो रक्षा सौदे हों या फिर चीन और पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति.

बोल्टन के बयान से यह संकेत मिलता है कि अगर भविष्य में डोनाल्ड ट्रंप दोबारा सत्ता में आते भी हैं, तो यह ज़रूरी नहीं कि भारत के साथ उनके रिश्ते पहले जैसे ही सहज और दोस्ताना हों. दुनिया की बदलती राजनीति और नए समीकरणों ने पुरानी दोस्तियों पर भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है.