
Up Kiran, Digital Desk: हर साल हज़ारों भारतीय छात्र डॉक्टर बनने का सपना लेकर विदेश जाते हैं. लेकिन अक्सर उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि क्या विदेश से ली गई उनकी डिग्री भारत में मान्य होगी? इसी समस्या का एक बड़ा समाधान सामने आया है.
भारत के जीएसएल मेडिकल इंस्टीट्यूशंस (GSL Medical Institutions) और उज़्बेकिस्तान के इंपल्स मेडिकल इंस्टीट्यूट (Impuls Medical Institute) ने मिलकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा कोई समझौता हुआ है. इसके तहत एक नया एमबीबीएस प्रोग्राम शुरू किया गया है, जो पूरी तरह से भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियमों का पालन करता है.
यह समझौता इतना ख़ास क्यों है?
यह कदम NMC के उस अलर्ट के बाद उठाया गया है, जिसमें भारतीय छात्रों को आगाह किया गया था कि वे सिर्फ़ उन्हीं विदेशी मेडिकल संस्थानों में दाखिला लें जो NMC के विदेशी मेडिकल स्नातक लाइसेंसधारी (FMGL) नियमों का पूरी तरह से पालन करते हैं, ताकि भविष्य में उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने में कोई दिक्कत न आए.
यह पार्टनरशिप भारतीय छात्रों को विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने का एक सुरक्षित और मान्यता प्राप्त रास्ता देगी, जिससे वे भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी प्रैक्टिस करने के योग्य बने रहेंगे.
कैसी होगी यह नई MBBS पढ़ाई?
यह नया प्रोग्राम पूरी तरह से भारतीय एमबीबीएस मॉडल पर आधारित है:
पढ़ाई: 54 महीने की एकेडमिक पढ़ाई.
इंटर्नशिप: 12 महीने की पेड क्लिनिकल इंटर्नशिप, जिसके दौरान छात्रों को हर महीने 100 डॉलर (लगभग 8300 रुपये) मिलेंगे.
भाषा: पूरी पढ़ाई अंग्रेज़ी में होगी.
क्लीनिकल अनुभव भी शामिल होगा.
परीक्षा की तैयारी: छात्रों को भारत की लाइसेंसिंग परीक्षाओं (FMGE/NExT) के साथ-साथ अमेरिकी (USMLE) और ब्रिटिश (UKMLA) परीक्षाओं के लिए भी साल भर ट्रेनिंग दी जाएगी.
डॉ. बख्तिनूर ओयबुताएविच खुदानोव (अध्यक्ष, इंपल्स मेडिकल इंस्टीट्यूट):
"हमारे एकेडमिक प्रोग्राम भारत के NMC दिशानिर्देशों और USMLE मानकों के अनुसार डिज़ाइन किए गए हैं. इससे हमारे ग्रेजुएट भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और दुनिया भर में प्रैक्टिस करने के योग्य रहेंगे."
डॉ. तरुण गोगिनेनी (निदेशक, जीएसएल संस्थान):
"NMC ने छात्रों को स्पष्ट सलाह दी है कि वे FMGL नियमों का पालन करने वाले संस्थानों को ही चुनें. इंपल्स को उज़्बेकिस्तान के शिक्षा मंत्रालय से मान्यता प्राप्त होगी और यह WHO की लिस्ट में भी शामिल है. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह एक विश्व स्तर पर मान्य और NMC-अनुरूप रास्ता हो."
श्री रोहित (सीओओ, नियो और इंटरनेशनल आउटरीच हेड, जीएसएल):
"इस सहयोग से भारतीय छात्रों को घर जैसा माहौल और वैश्विक शिक्षा की ताकत मिलेगी. उज़्बेकिस्तान में क्लीनिकल ट्रेनिंग का एक बड़ा फ़ायदा है. वहां के मरीज़ भारतीय डॉक्टरों पर बहुत भरोसा करते हैं. बड़ी संख्या में मरीज़ होने से छात्रों को असली और प्रैक्टिकल अनुभव मिलता है."
यह सहयोग उन हज़ारों भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है जो पहले यूक्रेन जैसे देशों में MBBS करने जाते थे. अब उन्हें एक नया, सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प मिल गया है.