
Up Kiran, Digital Desk: ओडिशा के तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। राज्य सरकार पारादीप में 2.31 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश का पहला 'मड क्रैब' (मिट्टी वाले केकड़े) हैचरी स्थापित करने जा रही है। वन और पर्यावरण मंत्री गणेशराम सिंह खुंटिया ने बुधवार को बताया कि इस हैचरी से मछुआरों की एक बहुत पुरानी मांग पूरी हो जाएगी।
मछुआरों को कैसे होगा फायदा?
अब तक, ओडिशा के केकड़ा पालकों को बीज के लिए चेन्नई के राजीव गांधी सेंटर फॉर एक्वाकल्चर (RGCA) पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस नई हैचरी में हर साल 5 लाख केकड़े के बीज तैयार किए जाएंगे। इससे न केवल मछुआरों की चेन्नई पर निर्भरता खत्म होगी, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी और ओडिशा केकड़ा बीज उत्पादन का एक बड़ा केंद्र बन जाएगा।
इस काम को पूरा करने के लिए तीन विभागों के बीच एक समझौता होगा, जिसमें RGCA तकनीकी जानकारी देगा।
क्यों इतने खास हैं ये केकड़े?
तटीय जिलों के मछुआरों के लिए केकड़ा पकड़ना सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि कमाई का एक बड़ा जरिया है। खासकर तब, जब सरकार हर साल 15 अप्रैल से 14 जून तक मछली पकड़ने पर तीन महीने का प्रतिबंध लगाती है। इस दौरान मछलियां बच्चे देती हैं, इसलिए उन्हें पकड़ना मना होता है। ऐसे में, मछुआरे नदियों और खाड़ियों में केकड़े पकड़कर ही अपना घर चलाते हैं।
एक स्थानीय मछुआरा संघ के उपाध्यक्ष ने बताया कि सामान्य दिनों में यह एक अतिरिक्त आय है, लेकिन बैन के दौरान यह कमाई का मुख्य साधन बन जाता है। व्यापारी इन केकड़ों को 200 से 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदते हैं, जिससे मछुआरों को अच्छी आमदनी हो जाती है।
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