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Up Kiran, Digital Desk: झारखंड सरकार ने स्कूल शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए अगले साल से बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों के लिए पैन यानी परमानेंट एजुकेशन नंबर अनिवार्य कर दिया है। इस नए नियम के तहत जिन छात्रों के पास पैन नंबर नहीं होगा, वे परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित रह सकते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं।

क्या है पैन नंबर?

परमानेंट एजुकेशन नंबर, छात्रों की पहचान से जुड़ा एक विशेष कोड होगा। यह हर छात्र को प्राथमिक स्तर से ही आवंटित किया जाएगा और उसकी पूरी शैक्षणिक यात्रा का हिस्सा बनेगा। विभाग का कहना है कि इस व्यवस्था से न केवल छात्रों के डेटा को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाया जा सकेगा, बल्कि फर्जी नामांकन जैसी समस्या पर भी रोक लगेगी।

शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह के मुताबिक, इस नियम को 2026 से कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। साथ ही, छात्रों के स्कूल का यू-डाइस प्लस कोड दर्ज करना भी जरूरी होगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

पढ़ाई से जुड़े रेकॉर्ड को व्यवस्थित करने और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं, जब छात्र अलग-अलग स्कूलों में नामांकन करा लेते हैं या गलत जानकारी देकर लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। पैन नंबर इस तरह की प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने में मददगार साबित होगा। इसके जरिए एक एकीकृत छात्र डेटाबेस तैयार होगा, जिसे विभिन्न शैक्षणिक प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।

कैसे बनेगा छात्रों का पैन नंबर?

शिक्षा विभाग की प्रक्रिया पहले से शुरू हो चुकी है। कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के सभी बच्चों के रिकॉर्ड यू-डाइस पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे हैं। इसमें बच्चे का नाम, जन्मतिथि, माता-पिता के नाम, आधार कार्ड विवरण, बैंक खाता और स्कूल संबंधित सूचना शामिल रहेगी। सारी जानकारी अपलोड होते ही छात्र को उसका परमानेंट एजुकेशन नंबर जारी कर दिया जाएगा।

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