Up Kiran, Digital Desk: मध्य प्रदेश के अगर-मालवा में दो बूथ नंबर 93 और 94 की मतदाता सूची देखकर पहले तो अफसरों ने सोचा कोई मज़ाक चल रहा है। नाम थे – काजू सिंह, बादाम, पिस्ता, शेरनी बाई, टीवी, ऐंटेना, राजेश खन्ना, दिलीप कुमार, माधुरी दीक्षित, सनी देओल। लगा जैसे कोई ड्राई फ्रूट की दुकान और सिनेमा हॉल एक साथ खुल गया हो।
नाम के पीछे घुमंतू ज़िंदगी का फलसफा
ये सारे नाम पढ़ी समुदाय के लोगों के हैं जो सदियों से घुमंतू जीवन जीते आए हैं। बच्चा जहां पैदा होता है उस वक्त जो चीज़ नज़र आती है या जो पसंद आती है उसी का नाम पड़ जाता है। कभी तंबू में फिल्म चल रही हो तो हीरो-हीरोइन का नाम। कभी रास्ते में प्याज का ठेला दिख जाए तो प्याज बाई। कभी ड्राई फ्रूट खाते हुए बच्चा पैदा हो जाए तो काजू या बादाम। आसान और मजेदार तरीका है अपनी कहानी को नाम में कैद करने का।
BLO को याद हो गए सारे स्टार
2006 से इस इलाके में काम कर रहे BLO संतोष अब हंसते-हंसते बताते हैं कि पहले तो जीतेंद्र दीक्षित, सरांगपुर बाई, हेमामालिनी जैसे नाम देखकर दंग रह जाते थे। अब तो रट गए हैं। उनका मज़ाकिया अंदाज़ है कि बॉलीवुड वाले उन्हें कास्टिंग डायरेक्टर बना लें तो कोई हैरानी नहीं। दूसरे अफसर भी मानते हैं कि अब शेर खान और सोल्जर जैसे नाम सुनकर मुस्कुराहट अपने आप आ जाती है।
अपने नाम पर गर्व है इनको
जिन नामों को हम अजीब समझ रहे हैं उन लोगों को अपने नाम पर गजब का नाज़ है। एक शख्स का नाम है देश प्रेमी। उन्होंने बताया कि पिताजी उस दिन फिल्म देखकर आए थे। फिल्म में हीरो का नाम और उसकी देशभक्ति वाली कहानी इतनी पसंद आई कि मेरा नाम ही देश प्रेमी रख दिया। हमारे यहां परदेसी, राजकुमार, सैनिक जैसे नाम तो आम बात है।
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