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Up Kiran, Digital Desk: भारत अपनी हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाने जा रहा है. अगले साल से, देश में ही बनी इंटरसेप्टर मिसाइलों का परीक्षण शुरू हो जाएगा. यह ambitious योजना 'प्रोजेक्ट कुशा' का हिस्सा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 'मिशन सुदर्शन चक्र' की एक महत्वपूर्ण कड़ी है. इस मिशन का लक्ष्य 2035 तक भारत के चारों ओर एक ऐसा बहुस्तरीय हवाई और मिसाइल रक्षा कवच तैयार करना है, जो रूस के शक्तिशाली S-400 जैसे सिस्टम को टक्कर देगा.

क्या है 'प्रोजेक्ट कुशा' और इसकी ताकत?

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के नेतृत्व में चलाए जा रहे 'प्रोजेक्ट कुशा' का मकसद लंबी दूरी की, जमीन से हवा में मार करने वाली (LR-SAM) मिसाइलें बनाना है. इसे भारत का 'देसी S-400' भी कहा जा रहा है क्योंकि इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक हो सकती है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल से M1 मिसाइल का परीक्षण शुरू होगा, जो 150 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मन के विमान, स्टील्थ फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल, ड्रोन और स्मार्ट बमों को हवा में ही नष्ट कर देगी.

इसके बाद 2027 में M2 मिसाइल (250 किमी रेंज) और 2028 तक M3 मिसाइल (350 किमी रेंज) का परीक्षण किया जाएगा. योजना के मुताबिक, इन तीनों मिसाइलों का विकास 2028 तक पूरा कर लिया जाएगा और 2030 से इन्हें सेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

'मिशन सुदर्शन चक्र': पीएम मोदी का विजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से 'मिशन सुदर्शन चक्र' का ऐलान किया था. इसका मकसद अगले दस सालों में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से भारत के महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. पीएम मोदी ने कहा था, "हर नागरिक को सुरक्षित महसूस करना चाहिए. यह मिशन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा."

यह मिसाइल सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगा और अमेरिका के 'गोल्डन डोम' या इजरायल के 'आयरन डोम' की तरह भारत के महत्वपूर्ण शहरों और ठिकानों को सुरक्षा देगा.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भी भरोसा जताया है कि भारत कम लागत में अपना खुद का 'आयरन या गोल्डन डोम' बना सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह रक्षा कवच न केवल हवाई खतरों को रोकेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन पर कई गुना ज्यादा ताकत से पलटवार भी करेगा.

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