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Up Kiran, Digital Desk: सड़क पर चलते हुए, बस स्टॉप पर इंतजार करते हुए या अपने बच्चे को स्कूल छोड़ते हुए आवारा कुत्तों के झुंड से हर किसी का सामना होता है। कई बार ये बेजुबान जानवर शांत रहते हैं, तो कई बार इनके काटने की घटनाओं ने लोगों के मन में एक डर पैदा कर दिया है। इसी गंभीर समस्या और देश भर में कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

यह फैसला आम आदमी, खासकर बच्चों और मरीजों की सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़ा है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश?

 

देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ निर्देश दिए हैं कि स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को पूरी तरह से हटाया जाए।

 अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि इन जगहों को सुरक्षित बनाना और जनता की सुरक्षा चिंताओं को दूर करना बेहद जरूरी है।

यह आदेश सिर्फ कुत्तों तक ही सीमित नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राजमार्गों (Highways) पर पाए जाने वाले आवारा पशुओं को भी पकड़ा जाए और उन्हें आश्रय स्थलों (Shelters) में भेजा जाए।

 

क्यों लेना पड़ा यह सख्त फैसला?

 

यह फैसला "कुत्तों के काटने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि" को देखते हुए लिया गया है। जजों की बेंच ने माना कि शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों और सार्वजनिक परिवहन स्टेशनों जैसी जगहों पर लोगों की, खासकर बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अदालत ने इन जगहों पर ठीक से बाड़ लगाने का भी आदेश दिया है ताकि आवारा कुत्ते दोबारा इन परिसरों में प्रवेश न कर सकें।

हटाए गए कुत्तों का क्या होगा? क्या उन्हें वापस छोड़ा जाएगा?

 

यह इस फैसले का सबसे अहम हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन जगहों से उठाए गए कुत्तों को वापस उसी इलाके में नहीं छोड़ा जाएगा।

स्थानीय नगर निगमों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे इन कुत्तों को उठाएं, पशु जन्म नियंत्रण नियमों (Animal Birth Control Rules) के अनुसार उनकी नसबंदी और टीकाकरण करें, और फिर उन्हें निर्धारित डॉग शेल्टर्स में भेज दें। अदालत का मानना है कि कुत्तों को उसी जगह पर वापस छोड़ने से इन स्थानों को सुरक्षित करने का पूरा उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।

यह फैसला मानव सुरक्षा और पशु कल्याण के बीच एक संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, ताकि सार्वजनिक स्थान सभी के लिए सुरक्षित हो सकें।