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Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम एशिया एक बार फिर आग की लपटों में घिरा है। गाजा से लेकर सीरिया तक इजरायल के ताबड़तोड़ हमलों ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। गाजा में जहां करीब 80 लोगों की जान गई, वहीं सीरिया की राजधानी दमिश्क तक इजरायली मिसाइलें दहाड़ती रहीं। मगर इन धमाकों की गूंज वॉशिंगटन तक शायद नहीं पहुंची जहां उसी दौरान मुस्लिम देशों के नेता अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भोज की मेज़ पर बैठे थे और अरबों डॉलर के निवेश समझौते कर रहे थे।
गाजा और दमिश्क पर हमला, मगर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं
बुधवार को इजरायल ने सैन्य कार्रवाई की एक लंबी श्रृंखला शुरू की जिसमें गाजा पट्टी के कई ठिकानों के साथ-साथ सीरिया के रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाया गया। इन हमलों में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई, खासकर गाजा में। हालांकि, इजरायल की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया कि वह "पीछे हटने वाला नहीं है", चाहे उसकी कार्रवाई कितनी भी तीखी आलोचना झेले।
मगर इन घटनाओं के बावजूद मुस्लिम देशों की ओर से कोई ठोस या एकजुट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। यह वही देश हैं जो आमतौर पर गाजा में हिंसा के समय इजरायल के खिलाफ मुखर नजर आते थे। इस बार बहरीन, सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश चुप्पी साधे दिखे।
वॉशिंगटन में राजनीति की जगह व्यापार
इसी बीच अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में कूटनीति की बजाय व्यापारिक रिश्ते गहराते दिखे। ट्रंप प्रशासन के साथ बहरीन और कतर के शीर्ष नेताओं की मुलाकातें हुईं। बहरीन के युवराज सलमान बिन हमद अल खलीफा और कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी अमेरिका पहुंचे और इसके साथ ही बहरीन ने 17 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका में करने पर सहमति जताई।
व्हाइट हाउस में ट्रंप और बहरीन के युवराज की बैठक के दौरान राष्ट्रपति ने कहा, "हमने उन्हें जो चाहिए था, वह दिया और उन्होंने भी हमारी ज़रूरतों को समझा।" ट्रंप ने बहरीन को “पुराना और विश्वसनीय साझेदार” बताया, खासतौर पर इसलिए कि वहां अमेरिका का पांचवां सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा स्थित है, जो क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
कतर की भूमिका और मूक मध्यस्थता
बुधवार शाम को ट्रंप ने कतर के प्रधानमंत्री सानी के साथ रात्रिभोज भी किया। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब गाजा में संघर्ष अपने चरम पर था। गौरतलब है कि कतर अतीत में गाजा को लेकर इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता करता रहा है, मगर इस बार वह भी मुखर प्रतिक्रिया देने से बचता नजर आया।
मुस्लिम एकता पर उठे सवाल
गाजा और सीरिया पर हो रहे हमलों के बीच मुस्लिम देशों की यह रणनीतिक चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। एक ओर तो पश्चिम एशिया का मानवीय संकट लगातार गहराता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उसी समय क्षेत्रीय नेता वॉशिंगटन में कूटनीतिक भोज में व्यस्त हैं और आर्थिक समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव सिर्फ राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि उस नए समीकरण की ओर इशारा करता है जहां पश्चिम एशिया के शक्तिशाली देश अब सुरक्षा और आर्थिक साझेदारी को अपने पारंपरिक रुख से अधिक प्राथमिकता देने लगे हैं। मगर इस बीच गाजा और दमिश्क की राख में दबे आम नागरिकों के लिए यह चुप्पी एक गहरी निराशा की तरह महसूस होती है।
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