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भारत की बड़ी कंपनियों में शुमार टाटा ग्रुप का नाम बच्चे से लेकर बूढ़े तक जुबान पर है। मगर इसकी कामयाबी में जिस लेडी का हाथ है, उसे शायद ही कोई जानता हो। जी हां, इस महिला का नाम लेडी मेहरबाई टाटा है। लेडी मेहरबाई टाटा ने टाटा ग्रुप के संकट की घड़ी का सामना करने पर अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे। एक वक्त आ गया था जब इस लेडी ने कंपनी को बचाने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे।

एक वक्त टाटा ग्रुप की एक कंपनी कैश की किल्लत से गुजर ही रही थी. तब लेडी मेहरबाई टाटा ने ही कंपनी को इस बुरे वक्त से निकाल दिया गया. मेहरबाई ने आभूषणों को बैंक में रखकर रुपए इकट्ठा किए और टाटा स्टील को शिखर तक पहुंचाया।

जानकारी के मुताबिक, लेडी मेहरबाई टाटा टाटा समूह के संस्थापक जी. आर. टाटा की पत्नी थीं। वह जन्मी थी मेहराबाई जी नाम से, जो बाद में उन्हें "लेडी" टाटा बनाने के लिए बदल दिया गया।

लेडी मेहरबाई टाटा का जन्म 1904 में हुआ था। वह आधुनिक भारत की पहली महिला थीं जो एक उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई थीं। उन्होंने अपने पति जी. आर. टाटा के साथ मिलकर टाटा समूह का विस्तार किया था। उन्होंने टाटा समूह के कुछ अनुषंगिक कार्यों, जैसे कि समाज सेवा और शिक्षा को बढ़ावा देने में भी अपना योगदान दिया था।

लेडी मेहरबाई टाटा को सम्मानों से भरी जिंदगी मिली थी, जिसमें से कुछ शामिल हैं पद्मश्री, पद्मभूषण, और विश्व शांति पुरस्कार। उनका सन् 2004 में निधन हो गया था।

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