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Up Kiran, Digital Desk: सोचिए एक छोटा सा मकान और उसमें दर्ज 45 वोटर। लेकिन जब अफसर पहुंचे तो सिर्फ तीन जीते-जागते इंसान मिले। बाकी 42 नाम कागजों में ही सांस ले रहे थे। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि उन्नाव के पूरननगर इलाके के मकान नंबर 57 की हकीकत है।

मकान मालिक कमलेश कुमार कचहरी में मुंशी का काम करते हैं। उनकी पत्नी माधुरी देवी और बेटा आशीष – बस यही तीन लोग उस घर में रहते हैं। जनवरी 2025 की नई वोटर लिस्ट में उनके पते पर कुल 45 नाम दर्ज थे। जब बीएलओ राजीव त्रिपाठी गणना प्रपत्र देने पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। कमलेश ने साफ कहा, “ये 42 लोग कौन हैं हमें पता ही नहीं। न हमने कभी देखा न सुना।”

पड़ोसियों ने भी यही बात दोहराई। किसी ने उन 42 “भूत वोटरों” को कभी आते-जाते नहीं देखा। बात जब ऊपर तक पहुंची तो निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी फहद खान खुद मौके पर आए। कमलेश ने बिजली का बिल, नगर पालिका का हाउस टैक्स और सारे कागज दिखा दिए। उप जिला निर्वाचन अधिकारी सुशील कुमार गोंड ने बताया कि जांच पूरी हो चुकी है। रिपोर्ट जल्द आएगी तब साफ होगा कि ये नाम कैसे और किसने चढ़ाए।

लोग अब सवाल उठा रहे हैं – क्या यह सिर्फ गलती थी या कोई बड़ा खेल? क्योंकि एक ही मकान में इतनी बड़ी संख्या में फर्जी नाम दर्ज होना मामूली बात नहीं।

ड्यूटी पर जाने से पहले बीएलओ गिरा और दुनिया से चला गया

इधर हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे में उस दिन मातम पसर गया जब सुबह-सुबह एक बीएलओ की अचानक मौत हो गई। मोहल्ला ब्राह्मणपुरी में रहने वाले बीएलओ मंगलवार को नहा-धोकर वर्दी पहन रहे थे। अचानक चक्कर आया और वो जोर से जमीन पर गिर पड़े। सिर पर गहरी चोट लगी। परिजन उन्हें फौरन अलीगढ़ अस्पताल लेकर भागे लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सिर में गंभीर चोट बताया गया। खबर मिलते ही डीएम और एसपी खुद उनके घर पहुंचे। परिजनों को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिया।

दोनों घटनाएं अलग-अलग जिलों की हैं लेकिन एक ही काम से जुड़ी हैं – मतदाता सूची सत्यापन। एक तरफ फर्जी नामों का भंडाफोड़, दूसरी तरफ ड्यूटी निभाते हुए जिंदगी का अंत। यूपी में चल रहा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है।