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Up Kiran, Digital Desk: आज बीजिंग में दुनिया ने शक्ति प्रदर्शन का एक ऐसा नज़ारा देखा, जो आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा। चीन ने दूसरे विश्व युद्ध के अंत की 80वीं सालगिरह के मौके पर एक विशाल सैन्य परेड का आयोजन किया। लेकिन यह सिर्फ एक परेड नहीं थी, बल्कि पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका को अपनी ताकत का एहसास कराने का एक सीधा संदेश था।

इस परेड की सबसे खास बात थी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन की मौजूदगी। तीनों नेता एक साथ खड़े होकर मुस्कुराते हुए सेना को सलामी दे रहे थे, और यह तस्वीर अपने आप में एक बड़ा भू-राजनीतिक बयान दे रही थी।

इस परेड के ज़रिए चीन ने दुनिया को अपने सबसे आधुनिक और घातक हथियार दिखाए। सड़कों पर हज़ारों सैनिकों ने कदम से कदम मिलाए, और उनके साथ-साथ DF-17 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें, अत्याधुनिक टैंक और无人 (unmanned) ड्रोन भी गुज़रे। आसमान में चीन के सबसे एडवांस J-20 स्टील्थ फाइटर जेट गरज रहे थे। यह सब कुछ एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसका मकसद दुनिया को यह दिखाना था कि चीन अब सैन्य मामलों में किसी से पीछे नहीं है।

यह परेड सिर्फ हथियारों का दिखावा नहीं थी, बल्कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया के बीच बनती एक नई धुरी का ऐलान भी थी। यह तीनों देश मिलकर पश्चिमी दबदबे को चुनौती दे रहे हैं। इस घटना ने अमेरिका, जापान और नाटो (NATO) जैसे पश्चिमी गठबंधनों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इसे सत्तावादी ताकतों के एक नए गठजोड़ के तौर पर देखा जा रहा है। कुल मिलाकर, यह परेड दुनिया को यह बताने की एक ज़ोरदार कोशिश थी कि वैश्विक शक्ति का संतुलन अब बदल रहा है।

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