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Up Kiran, Digital Desk: जब चुनाव आयोग ने हाल ही में चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की तो पहली नजर में यह एक सामान्य प्रक्रिया की तरह लगा। मगर जैसे-जैसे तारीखें नज़दीक आ रही हैं इन उपचुनावों ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। चाहे बात केरल की हो पंजाब की पश्चिम बंगाल की या गुजरात की — हर सीट पर एक अलग किस्सा है और हर किस्से में छुपा है आने वाले राजनीतिक भविष्य का एक संकेत।

केरल की नीलांबुर सीट, एक सीट कई समीकरण

केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट सिर्फ एक उपचुनाव नहीं बल्कि यह राज्य की बदलती राजनीति की कहानी कहने वाली सीट है। यह सीट वायनाड लोकसभा क्षेत्र में आती है जहां इस बार प्रियंका गांधी सांसद बनी हैं।

अब दिलचस्प बात यह है कि इस सीट से दो बार निर्दलीय विधायक रहे पी. वी. अनवर ने हाल ही में CPI(M) और LDF को अलविदा कहकर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। माना जा रहा है कि TMC अनवर को इस सीट से टिकट देगी। अगर ऐसा होता है तो यह न सिर्फ सीट का चुनाव होगा बल्कि केरल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस की औपचारिक एंट्री होगी।

मुकाबला कैसा रहेगा

LDF, UDF, NDA और अब TMC — यानी चतुष्कोणीय मुकाबला तय है। इस सीट पर राहुल गांधी ने 2024 में 56000 और 2019 में 61000 वोटों से बढ़त बनाई थी। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल है जबकि CPI(M) के लिए सीट बचाने की चुनौती और TMC के लिए अपनी साख बनाने की लड़ाई है।

अगर अनवर जीत जाते हैं तो यह केरल की मुस्लिम राजनीति में TMC की संभावनाओं के दरवाज़े खोल देगा जो अब तक IUML और UDF के इर्द-गिर्द घूमती थी।

एक उपचुनाव दो संभावनाएं

लुधियाना पश्चिम की सीट आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन के बाद खाली हुई है। AAP ने यहां से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया है।

अब असली कहानी यहां से शुरू होती है

अगर अरोड़ा जीत जाते हैं तो उनके खाली की गई राज्यसभा सीट पर खुद अरविंद केजरीवाल जा सकते हैं। यानी यह चुनाव सिर्फ लुधियाना की नहीं बल्कि केजरीवाल की दिल्ली से राज्यसभा के रास्ते राष्ट्रीय राजनीति में नई पारी की भूमिका हो सकता है।

मगर अगर AAP हार जाती है तो यह 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा झटका होगा और केजरीवाल की रणनीति पर भी सवाल खड़े होंगे।

गुजरात की दो सीटें, कौन बनेगा विपक्ष का असली दावेदार

गुजरात में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। विसावदर जहां AAP विधायक ने इस्तीफा देकर BJP जॉइन कर लिया। कड़ी जो भाजपा विधायक के निधन के कारण खाली हुई है।

यहाँ असली लड़ाई भाजपा से ज्यादा कांग्रेस और आप के बीच है। दोनों पार्टियां BJP की मुख्य विपक्ष बनने की होड़ में हैं। हाल ही में कांग्रेस ने गुजरात में बड़ा सम्मेलन किया था मगर AAP की जमीनी पकड़ भी तेजी से बढ़ रही है।

अगर AAP इन सीटों पर कांग्रेस को पछाड़ती है तो वह गुजरात में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित कर सकती है। वहीं कांग्रेस के लिए यह आखिरी मौके जैसा है — खासकर जब वह 2024 में गुजरात से लंबे समय बाद लोकसभा में वापसी कर पाई है।

पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट, BJP की बड़ी उम्मीद

पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट नदिया जिले में है और यह तृणमूल कांग्रेस के विधायक नसीरुद्दीन अहमद के निधन से खाली हुई है। TMC यहां से तीन बार जीत चुकी है मगर इस बार हालात बदल सकते हैं।

2021 के चुनाव में CPI और कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। BJP इस सीट पर मजबूत स्थिति में है और उपचुनाव जीतकर वह 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में नई दस्तक दे सकती है।

इन पांच सीटों के उपचुनाव सिर्फ स्थानीय प्रतिनिधित्व भरने की कवायद नहीं हैं। ये राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की भावी रणनीति नेतृत्व की छवि और जनाधार की मजबूती का परीक्षण हैं।

केरल में TMC की एंट्री क्या IUML की पकड़ को चुनौती देगी। पंजाब में क्या केजरीवाल राज्यसभा की ओर बढ़ेंगे या हार के बाद रणनीति बदलनी पड़ेगी। वहीं गुजरात में विपक्ष कौन कांग्रेस या AAP और पश्चिम बंगाल में क्या BJP अपनी छाया फिर से फैला पाएगी।

सवाल कई हैं जवाब अगले कुछ हफ्तों में सामने होंगे मगर इतना तय है कि इन उपचुनावों से निकले संकेत भारत की राजनीति के अगले अध्याय की प्रस्तावना बनेंगे।

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