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Up Kiran, Digital Desk: भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जवाब देने के लिए मंगलवार रात को ऑपरेशन सिंदूर चला दिया, जिसमें भारतीय सेना ने 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई आतंकवादियों के खिलाफ भारत की स्पष्ट और मजबूत प्रतिक्रिया का हिस्सा है। इस हमले ने कश्मीर में आतंकवाद की पुनरावृत्ति को एक बार फिर उजागर किया और भारतीय सुरक्षा बलों ने इसे कड़ा जवाब दिया।
सिंधु जल संधि और आर्थिक नाकेबंदी के कदम
भारत ने आतंकवादी हमले का बदला लेने के अलावा पाकिस्तान के खिलाफ कई और कठोर कदम उठाए हैं। भारतीय सरकार ने सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया, जिससे पाकिस्तान को जल आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक नाकेबंदी करने के लिए अटारी सीमा को बंद कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार को पूरी तरह से रोक दिया।
यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार में हर साल हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन होता है। भारत पाकिस्तान को बहुत सारा निर्यात करता है, जिसमें जैविक रसायन, औषधि उत्पाद, खनिज, चीनी और मिठाइयां शामिल हैं। हालांकि, भारत ने 2019 के पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान से सामान की खरीद को बहुत कम कर दिया था।
भारत-पाकिस्तान व्यापार पर पड़ने वाला प्रभाव
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार की बात करें तो, 2024 तक पाकिस्तान को भारत से निर्यात 300 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। पाकिस्तान, जो भारत से कई वस्तुओं का आयात करता है, जैसे नमक, सल्फर, चूना, कपड़े और सीमेंट, वह अब भारी टैरिफ के चलते कम सामान बेच सकेगा।
भारत ने पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर 200 प्रतिशत का कर लगाया है और पाकिस्तान को सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र का दर्जा भी वापस ले लिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि पाकिस्तान का भारत को निर्यात 2019 में 547 मिलियन डॉलर से गिरकर 2024 में केवल 48 मिलियन डॉलर तक सीमित हो सकता है।
पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों में उथल-पुथल
भारत ने पाकिस्तान से व्यापार रोकने का निर्णय तब लिया था जब 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था। उस समय पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापार रोकने का ऐलान किया था। हालांकि, पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और आर्थिक संकट के कारण उन्होंने अपनी नीति में बदलाव किया और व्यापार को फिर से शुरू किया।
भारत के द्वारा उठाए गए ये कदम पाकिस्तान के लिए निश्चित रूप से एक कड़ी चुनौती पेश करेंगे, क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही संकट में है। ऐसे में इस व्यापारिक प्रतिबंध और सिंधु जल संधि की रद्दीकरण से पाकिस्तान की आर्थिक हालत और भी बिगड़ सकती है।
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