_2076455972.png)
Up Kiran, Digital Desk: 6 मई की रात भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह महज जवाबी कार्रवाई नहीं बल्कि एक नया सैन्य अध्याय साबित होगा। पहलगाम के अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और PoK में छिपे आतंकियों के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर एक सख्त संदेश दिया—“अब चुप नहीं बैठेंगे।” लेकिन इस ऑपरेशन ने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि भारत को भी एक नई रणनीतिक चुनौती से रूबरू कराया है: ड्रोन युद्ध।
तीन रातों में तबाही
भारत ने 6 से 9 मई के बीच तीन रातों में पाकिस्तान के 11 सैन्य एयरबेस एफ-16 और जेएफ-17 जैसे फाइटर जेट्स और आतंकवादी कैंपों को निशाना बनाकर उन्हें तबाह कर दिया। भारत की ओर से एस-400 और ब्रह्मोस जैसी हाईटेक तकनीकों का इस्तेमाल कर यह सुनिश्चित किया गया कि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई पूरी तरह नाकाम हो।
एस-400 डिफेंस सिस्टम की वजह से भारत की एयरस्पेस में घुसपैठ लगभग असंभव रही। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान ने अपने 'नई पीढ़ी' के हथियार के रूप में तुर्की और चीन निर्मित ड्रोन्स को मैदान में उतार दिया। और यहीं से एक नया खतरा सामने आया।
ड्रोन- युद्ध का नया चेहरा
भारत और रूस के पारंपरिक मिसाइल एवं जेट हमलों के लिए बने डिफेंस सिस्टम्स जैसे एस-400 या आकाश ड्रोन जैसे छोटे कम ऊंचाई और बेहद तेज़ी से उड़ने वाले उपकरणों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने करीब 300 से अधिक ड्रोन हमले किए। इनमें से अधिकतर को भारतीय सैनिकों ने एयर डिफेंस गन से गिरा दिया लेकिन कुछ ड्रोन महत्वपूर्ण सैन्य इलाकों के पास तक पहुंचने में सफल रहे।
2019 में हुए पुलवामा अटैक या 2021 में जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले ने इस खतरे का संकेत पहले ही दे दिया था। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि अब इस खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
क्या भारत तैयार है अगली ड्रोन जंग के लिए
एस-400 दुनिया के सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम में शुमार है लेकिन इसका डिज़ाइन पारंपरिक हवाई हमलों के लिए किया गया है। जब बात कम ऊंचाई पर उड़ने वाले सस्ते लेकिन घातक ड्रोन की आती है तो एस-400 बेअसर हो जाता है।
भारत के पास फिलहाल ड्रोन रोधी तकनीक का बड़ा अभाव है। कुछ निजी कंपनियां और DRDO इस दिशा में काम कर रही हैं लेकिन एक केंद्रीकृत युद्ध-तैयार समाधान अब भी विकसित नहीं हुआ है।
ज़रूरत है C-RAM जैसे सिस्टम की, जानें क्या है C-RAM
C-RAM (Counter Rocket Artillery and Mortar) एक ऐसा सिस्टम है जो कम ऊंचाई से आने वाले हवाई खतरों को बेहद कम समय में नष्ट कर सकता है। इसका इस्तेमाल अमेरिका और इज़राइल जैसे देश करते हैं। इज़रायली आयरन डोम इसकी सबसे सटीक मिसाल है जिसने हमास के सैकड़ों रॉकेट हमलों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया है।
भारत के लिए क्या जरूरी है
C-RAM आधारित टेक्नोलॉजी विकसित करना या इंपोर्ट करना। AI आधारित ड्रोन ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना। सीमाई इलाकों में 360 डिग्री निगरानी रडार और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम तैनात करना। स्थानीय स्तर पर कम लागत वाले ड्रोन किलर यूनिट्स बनाना।
हर जीत एक सबक होती है
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और उसके आतंकी नेटवर्क को करारा झटका दिया है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि इस ऑपरेशन ने भारत की एक बड़ी कमजोरी को भी उजागर कर दिया- ड्रोन हमलों से निपटने की तैयारी की कमी। युद्ध के मैदान अब बदल चुके हैं। अब जरूरी है कि भारत न सिर्फ बड़ी मिसाइलों के लिए बल्कि छोटे ड्रोन हमलों के लिए भी खुद को तैयार करे।
--Advertisement--