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तमिल अभिनेता और राजनेता कमल हासन ने एक बार फिर विवाद को जन्म दिया है। इस बार उन्होंने 'सनातन धर्म' को लेकर ऐसा बयान दिया है जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। डीएमके गठबंधन का हिस्सा रहे कमल हासन ने सनातन धर्म को "पिछड़े विचारों का प्रतीक" बताते हुए इसकी आलोचना की।

हासन के इस बयान पर भाजपा और हिन्दू संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह बयान न केवल हिंदू भावनाओं का अपमान है, बल्कि यह दर्शाता है कि डीएमके और उसके सहयोगी दल वोट बैंक के लिए धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कमल हासन का यह बयान तमिलनाडु की राजनीति में एक विशेष वर्ग को खुश करने की कोशिश है। डीएमके पहले भी सनातन धर्म विरोधी बयानों के लिए चर्चा में रही है, और अब हासन का यह रुख उसी दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।

हालांकि, हासन के समर्थकों का कहना है कि उनका बयान धार्मिक आलोचना नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार की ओर इशारा करता है। उनका तर्क है कि कमल हासन हमेशा से जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ बोलते रहे हैं।फिर भी सवाल यह है कि क्या ऐसी टिप्पणियां समाज में विभाजन पैदा नहीं करतीं? क्या डीएमके जैसी पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं को निशाना बना रही हैं?

यह पहला मौका नहीं है जब तमिलनाडु की राजनीति में धर्म को लेकर विवाद हुआ हो। लेकिन यह जरूर स्पष्ट होता जा रहा है कि 'सनातन' धर्म पर हमला करना एक राजनैतिक रणनीति बनती जा रही है, जो दीर्घकालिक सामाजिक असर डाल सकती है।
 

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