
Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण समारोह का उद्घाटन किया है। यह समारोह महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बीच हुई ऐतिहासिक वार्ता की सौवीं वर्षगांठ मनाता है। यह मुलाकात 1925 में केरल के वर्कला स्थित शिवगिरी मठ में हुई थी, जिसने भारत के सामाजिक सुधार आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने दोनों महान विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और सामाजिक न्याय, समानता और अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए उनके आजीवन प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि गुरु और गांधी का विजन 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश है।
प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु के प्रसिद्ध उद्घोष "एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर मनुष्य के लिए" को दोहराया और कहा कि यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना तब था। उन्होंने जोर दिया कि गुरु के दर्शन और उनके 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के मंत्र में गहरा साम्य है, जो समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की प्रेरणा देता है।
पीएम मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे श्री नारायण गुरु ने केरल में जाति-व्यवस्था और छुआछूत के खिलाफ एक शक्तिशाली सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया था। उनकी शिक्षाओं ने न केवल केरल, बल्कि पूरे देश को सामाजिक समानता और मानव गरिमा के महत्व का एहसास कराया।
यह शताब्दी समारोह न केवल इन महान नेताओं को श्रद्धांजलि है, बल्कि उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक अवसर भी है। यह हमें याद दिलाता है कि एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हमारे सामूहिक प्रयासों और इन महान विभूतियों के दिखाए मार्ग पर चलने से ही संभव है।
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