Up Kiran, Digital Desk: संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने संविधान की महानता और मौलिक कर्तव्यों के महत्व पर विशेष जोर दिया। इसके साथ ही, पहली बार मतदान करने वाले नागरिकों के उत्सव को मनाने के कारणों पर भी प्रकाश डाला। मोदी ने नागरिकों से अपील की कि वे अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों को सर्वोपरि रखें और आने वाले वर्षों में भारत को "विकसित भारत" बनाने के उद्देश्य से मिलकर काम करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पत्र में कहा कि 2047 तक भारत को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए हमें अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से करना होगा। उन्होंने विशेष रूप से मतदान के अधिकार का उल्लेख किया और यह भी कहा कि स्कूल और कॉलेजों को 18 वर्ष के युवाओं को सम्मानित करते हुए संविधान दिवस मनाना चाहिए, ताकि उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के महत्व का एहसास हो।
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के एक महत्वपूर्ण उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा, “अधिकार कर्तव्यों के निर्वहन से प्राप्त होते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए कर्तव्यों का पालन अत्यंत आवश्यक है। उनका मानना था कि आज की नीतियों और निर्णयों का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा, और इसलिए नागरिकों को अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
मोदी ने संविधान के निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, "हमारा संविधान मानवीय गरिमा, समानता और स्वतंत्रता को सर्वोच्च महत्व देता है। यह हमें अधिकारों से सशक्त बनाने के साथ-साथ हमारे कर्तव्यों की याद भी दिलाता है, जिन्हें हमें हमेशा पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। यही कर्तव्य एक मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं।"
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह भी बताया कि संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता आज भी हमें एक विकसित भारत के निर्माण की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा, "उनकी दूरदर्शिता और योगदान हमें हर दिन प्रेरित करते हैं, ताकि हम अपने देश को विश्व मंच पर एक आदर्श राष्ट्र बना सकें।"
इस संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी आग्रह किया कि नागरिक अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए देश को प्रगति की दिशा में आगे बढ़ाने में योगदान दें।

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