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Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई मध्यस्थता की पेशकश को विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया है। यह घटनाक्रम तब सामने आया जब ट्रंप ने अपनी पुस्तक 'लेट मी फिनिश' में दावा किया कि उन्होंने पीएम मोदी को इस संवेदनशील मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे मोदी ने "बहुत ही शालीनता से" अस्वीकार कर दिया।

भारत का दशकों से यह सुसंगत और दृढ़ रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से ही हो सकती है, इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार करके इस स्थापित सिद्धांत को एक बार फिर मजबूती से दोहराया है।

ट्रंप ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को "कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप करने और भारत तथा पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी।" हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मोदी ने उनके प्रस्ताव को "बहुत ही शालीनता से" ठुकरा दिया और स्पष्ट कर दिया कि भारत इस मामले को द्विपक्षीय रूप से ही सुलझाना चाहता है।

यह पहला मौका नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की हो। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए थे, जिन्हें भारत ने हर बार मजबूती से खारिज किया था। भारत की विदेश नीति इस बात पर अटल रही है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों का समाधान शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के तहत केवल द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से ही किया जाएगा।

पीएम मोदी के इस कदम ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की संप्रभुता और अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को अस्वीकार करने के दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया है।

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