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Up Kiran, Digital Desk: भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब देश की सुरक्षा की बात हो, तो वह कूटनीति से ज़्यादा एक्शन पर भरोसा करता है।
ताज़ा घटनाक्रम में, भारत ने सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त अभियान में पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अड्डों पर करारा हमला किया, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया है। इस ऑपरेशन में 100 से ज़्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर ने सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन के बनाए गए हथियारों की साख को भी हिला कर रख दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर: सिर्फ बदला नहीं, ताकत का प्रदर्शन
यह हमला कोई सामान्य कार्रवाई नहीं थी। भारत की इस रणनीतिक स्ट्राइक में सटीक लक्ष्य, उन्नत मिसाइल प्रणाली, और शत्रु की वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय करने की योजना शामिल थी। इस मिशन के तहत पाकिस्तान और खासतौर पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकियों के उन ठिकानों को निशाना बनाया गया जहां भारत को पुख्ता खुफिया इनपुट्स मिले थे।
HQ-9: चीन की तकनीक और पाकिस्तान की नाकामी
पाकिस्तान अपनी वायु सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए चीन-निर्मित HQ-9 मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर निर्भर रहा है। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इसे पूरी तरह से नाकाम कर दिया। जहां भारत ने ब्रह्मोस, रुद्रम-1 और Kh-31P जैसी तेज़ और आधुनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया। वहीं पाकिस्तान का HQ-9 सिस्टम सिर्फ हमलों को "ट्रैक" करता रहा, लेकिन उन्हें रोकने में नाकाम रहा।
HQ-9 की प्रमुख कमज़ोरियाँ
कमज़ोर रडार ट्रैकिंग: HQ-9 का रडार सिस्टम भारत के S-400 जैसे मल्टी-AESA रडार के मुकाबले बेहद पिछड़ा है।
कम प्रतिक्रिया क्षमता: यह सिस्टम ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को भांप तो सकता है, लेकिन उन्हें रोक नहीं सकता।
पुरानी टेक्नोलॉजी पर आधारित: कई विश्लेषकों का मानना है कि HQ-9 दरअसल रूसी S-300 की एक कमजोर कॉपी है।
भारत ने किया इन हथियारों का इस्तेमाल
SEAD यानी Suppression of Enemy Air Defenses—यह वह रणनीति है जिसमें दुश्मन की रडार और वायु रक्षा प्रणालियों को सबसे पहले निशाना बनाया जाता है।
भारत ने इस ऑपरेशन में सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। Kh-31P एंटी-रेडिएशन मिसाइलें दागीं। स्वदेशी रुद्रम-1 मिसाइलों से दुश्मन के रडार सिस्टम को नष्ट किया। इस रणनीति का परिणाम यह रहा कि पाकिस्तान की HQ-9 प्रणाली आँखों के सामने हमले होते देखती रही, लेकिन कुछ कर नहीं सकी।
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