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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय हथियारों के सफल प्रदर्शन ने चीन के कट्टर दुश्मन फिलीपींस में हलचल मचा दी है। 'ऑपरेशन सिंदूर' में, भारत निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों ने बिना किसी रुकावट के पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर सटीक हमले किए और पाकिस्तान की चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणाली बेअसर हो गई। इस घटना के बाद, फिलीपींस के सशस्त्र बल (एएफपी) प्रमुख जनरल रोमियो ब्राउनर जूनियर ने भारत से और सैन्य उपकरण खरीदने का फैसला किया है।
गुरुवार रात भारतीय नौसेना के टैंकर 'आईएनएस शक्ति (ए-57)' पर दिए एक साक्षात्कार में, जनरल ब्राउनर जूनियर ने कहा, "हम भारत से और सैन्य उपकरण और हथियार मंगवा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भारतीय हथियार बेहद प्रभावी हैं, उनकी गुणवत्ता उच्च है और वे अन्य देशों की तुलना में सस्ते हैं। यही कारण है कि फिलीपींस भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करना चाहता है।
भारत से और हथियार खरीदने के लिए तैयार
उन्होंने यह नहीं बताया कि फिलीपींस वर्तमान में कौन से हथियार खरीदने की योजना बना रहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि फिलीपींस को जल्द ही भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली की दो और बैटरियाँ मिलेंगी। फिलीपींस को इस मिसाइल प्रणाली की पहली खेप अप्रैल 2024 में मिली थी। प्रत्येक बैटरी में तीन से छह लॉन्चर, ट्रैकिंग और लॉजिस्टिक्स वाहन शामिल हैं। फिलीपींस के पूर्व रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेंजाना और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महानिदेशक अतुल दिनकर राणे ने जनवरी 2022 में तीन ब्रह्मोस क्रूज प्रणालियों के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
क्या अमेरिका को लगेगा बड़ा झटका
अब तक, अमेरिका फिलीपींस का सबसे पुराना हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। हालाँकि, ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के बाद अगर फिलीपींस भारत से रडार, ड्रोन और वायु रक्षा प्रणालियाँ खरीदता है, तो इस बाज़ार में अमेरिका की हिस्सेदारी काफ़ी कम हो जाएगी। संभावना है कि भारत 'तेजस' लड़ाकू विमान या 'प्रचंड' हेलीकॉप्टर भी दे सकता है। फिलीपींस के अधिकारियों ने बताया है कि भारतीय हथियार कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता प्रदान करते हैं, जबकि अमेरिकी हथियार बहुत महंगे हैं और उनके रखरखाव में काफ़ी खर्च आता है। इसके अलावा, अमेरिकी हथियारों की खरीद में कई शर्तें जुड़ी होती हैं, जिसके कारण अब कई देश अमेरिका से हथियार खरीदने से कतरा रहे हैं। अगर भारत हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरता है, तो यह अमेरिकी रक्षा नेतृत्व के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
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