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Up kiran,Digital Desk : यमन, जो पिछले कई सालों से गृहयुद्ध की आग में जल रहा था, वहां हाल ही में शांति की एक हल्की सी किरण नजर आई थी। ऐसा लग रहा था कि सऊदी अरब और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच एक अनौपचारिक समझौते के बाद हालात सुधर रहे हैं। लेकिन अब देश के दक्षिणी हिस्से में एक ऐसा बड़ा बदलाव हुआ है, जिसने इस शांति को भंग कर दिया है और एक नए और ज्यादा जटिल संघर्ष का खतरा पैदा कर दिया है।

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के समर्थन वाले एक अलगाववादी संगठन, सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC), ने देश के तेल के खजाने वाले इलाकों, हदरामौत और महरा, के बड़े हिस्सों पर कब्जा कर लिया है।

कौन है यह नया खिलाड़ी STC?

STC दक्षिण यमन को एक अलग देश बनाने की मांग करने वाला सबसे बड़ा और ताकतवर संगठन है। इसे UAE से खुलकर राजनीतिक और सैन्य मदद मिलती है। 2017 में बने इस संगठन ने दक्षिणी यमन में अपनी पकड़ बहुत मजबूत कर ली है, और विडंबना देखिए, इसके प्रमुख ऐदारूस अल-जुबैदी यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार की राष्ट्रपति परिषद के उपाध्यक्ष भी हैं!

तेल के खेल ने कैसे बिगाड़े हालात?

इसी महीने STC ने अचानक एक बड़ा कदम उठाते हुए हदरामौत में मार्च किया और वहां के बड़े तेल ठिकानों पर कब्जा कर लिया। इसमें यमन की सबसे बड़ी तेल कंपनी पेट्रोमसीला भी शामिल है। हुआ यह कि इससे ठीक पहले सऊदी अरब के समर्थन वाले कुछ स्थानीय कबीलों ने तेल से होने वाली कमाई में ज्यादा हिस्से की मांग करते हुए इन इलाकों पर थोड़े समय के लिए नियंत्रण कर लिया था।

STC ने इसी मौके को भुनाया और अपनी ताकत का इस्तेमाल कर पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिया। यहीं नहीं, इसके बाद STC की सेनाएं पड़ोसी राज्य महरा में भी घुस गईं और ओमान से लगी सीमा पर एक अहम चेकपोस्ट पर भी कब्जा कर लिया। उन्होंने राजधानी अदन में राष्ट्रपति भवन पर भी अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है।

तो... सऊदी अरब क्यों है परेशान?

  1. सऊदी का पीछे हटना: कुछ ही दिन पहले सऊदी सेना ने अदन से अपने सैनिक हटाए थे, यह सोचकर कि हालात शांत हो रहे हैं। लेकिन अब STC ने उस खाली जगह को भर दिया है।
  2. सऊदी की सीधी चेतावनी: सऊदी अधिकारियों ने साफ कहा है कि वे किसी भी ऐसे गुट को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो जबरदस्ती अपनी ताकत थोपने की कोशिश करे। उनका इशारा साफ है कि STC ने अपनी हद पार कर दी है।

तो असली विजेता कौन? UAE!

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मान रहे हैं कि इस पूरे खेल में सबसे ज्यादा फायदे में UAE है। एक तरफ जहां सऊदी अरब, यमन में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, वहीं उसके सहयोगी UAE के समर्थन वाला गुट जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इससे यमन में UAE का दबदबा और भी बढ़ गया है और अब सऊदी अरब के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है।

पहले यह लड़ाई सऊदी बनाम ईरान समर्थित हूती थी, लेकिन अब यह सऊदी बनाम UAE समर्थित STC में बदलती दिख रही है।