Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान में सत्ताधारी नेता एक महत्वपूर्ण कदम की ओर बढ़ रहे हैं, जो आने वाले दिनों में सेना की भूमिका को और मजबूत बना सकता है। देश के संविधान में संशोधन करने की योजना बनाई जा रही है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख, जनरल आसिम मुनीर की ताकत को और बढ़ाना है। अगर यह संशोधन पास हो जाता है, तो इसका असर न सिर्फ पाकिस्तानी राजनीति पर, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी पड़ेगा।
संविधान संशोधन: सैन्य और सिविल प्रशासन में फर्क
यह संशोधन खासकर संवैधानिक अदालतों और जजों के ट्रांसफर से संबंधित प्रावधानों पर केंद्रित है। इसके साथ ही, सबसे महत्वपूर्ण सवाल आर्टिकल 243 में बदलाव के इर्द-गिर्द घूम रहा है। आर्टिकल 243 पाकिस्तानी संविधान का वह हिस्सा है, जो सेना की कमान और नियंत्रण से जुड़ा है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संघीय सरकार सेना के ऊपर नियंत्रण रखेगी। हालांकि, शहबाज शरीफ सरकार ने इस बदलाव को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि यदि यह प्रस्ताव पास हो गया तो आसिम मुनीर की स्थिति और मजबूत हो जाएगी।
इस संशोधन का एक अहम पहलू यह है कि इससे सेना का सिविल मामलों में हस्तक्षेप बढ़ सकता है। यह न केवल पाकिस्तानी लोकतंत्र की दिशा को प्रभावित कर सकता है, बल्कि वहां के नागरिकों और न्यायिक व्यवस्था पर भी असर डाल सकता है।
आसिम मुनीर की भूमिका और बढ़ती ताकत
पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर, जो पहले भी अपने कड़े और भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं, ने हाल के वर्षों में अपने प्रभाव को और अधिक मजबूत किया है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने उन्हें फील्ड मार्शल का दर्जा दिया था। यह एक बड़ा कदम था, क्योंकि मुनीर पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के संविधान में फील्ड मार्शल की कोई कानूनी स्थिति नहीं है, जिससे उनके भविष्य पर अनिश्चितता बनी हुई है।
आसिम मुनीर इस साल नवंबर में अपने पद से रिटायर होने वाले हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी राजनीतिक और सैन्य ताकत में इजाफा होने के आसार हैं। यही कारण है कि उनकी सख्त नीतियां और बयान, विशेष रूप से भारत को लेकर, लगातार चर्चा का विषय बनते हैं।
भारत के लिए संभावित खतरे
भारत के लिए पाकिस्तान में हो रहे इस बदलाव को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। खासतौर से जब यह देखा जाए कि जनरल मुनीर के रवैये में भारत के प्रति हमेशा ही एक कड़ा और आलोचनात्मक दृष्टिकोण रहा है। मुनीर के कई बयान, विशेष रूप से कश्मीर मामले को लेकर, अक्सर उकसाने वाले रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान में संविधान संशोधन के बाद उनका रुख और सख्त हो सकता है, जिससे भारत को सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से चिंता हो सकती है।
इसके अलावा, पाकिस्तान में ऐसे संवैधानिक बदलावों का उद्देश्य पारंपरिक रूप से सेना और सरकार के बीच संतुलन बनाए रखना था, लेकिन अब यह बदलाव सेना को सिविल मामलों में अधिक दखल देने का अवसर प्रदान कर सकता है।
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