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Up Kiran, Digital Desk: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के बाद चीन में पाकिस्तानी नेताओं की गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की यात्रा जहां कूटनीतिक मानी जा रही है, वहीं सेना प्रमुख असीम मुनीर की मौजूदगी ने इसे सामरिक रंग दे दिया है।
मंगलवार को प्रधानमंत्री शरीफ ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान असीम मुनीर भी उनके साथ मौजूद रहे। डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार भी इस उच्चस्तरीय बातचीत का हिस्सा बने। दिलचस्प बात यह रही कि यह मुलाकात उस सम्मेलन के ठीक अगले दिन हुई जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे।
चीनी सेना की परेड में होंगे शरीक
सूत्रों के मुताबिक असीम मुनीर बुधवार को चीन की उस सैन्य परेड में शामिल होंगे, जो जापान पर जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित हो रही है। परेड में चीन अपनी आधुनिक सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा, जिसमें हवाई रक्षा, मिसाइल तकनीक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर शामिल हैं।
मुनीर का इस परेड में मौजूद रहना इसलिए भी अहम है क्योंकि पाकिस्तान की सैन्य जरूरतों का बड़ा हिस्सा चीन से पूरा होता है। आंकड़ों की मानें तो पाकिस्तान की 80 प्रतिशत से अधिक सैन्य आपूर्ति चीन से होती है।
सेना प्रमुख की दूसरी चीन यात्रा
फील्ड मार्शल की पदवी मिलने के बाद असीम मुनीर की यह दूसरी चीन यात्रा है। जुलाई में वह बीजिंग गए थे और वहां उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की थी। तब शी जिनपिंग से उनकी भेंट नहीं हो पाई थी। लेकिन इस बार वह प्रधानमंत्री शरीफ के साथ सीधे राष्ट्रपति जिनपिंग के सामने बैठे। इससे यह संकेत मिलते हैं कि चीन और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक रिश्तों में गहराई आ रही है।
मुनीर इससे पहले अमेरिका भी जा चुके हैं। उस यात्रा में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने निजी भोज पर आमंत्रित किया था, जिससे उनकी वैश्विक स्वीकार्यता और महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बातचीत में क्या हुआ शामिल
उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने बताया कि तीनों नेताओं — शरीफ, मुनीर और जिनपिंग — के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने पर चर्चा हुई। आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता भी इस बातचीत का मुख्य विषय रहा।
चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और मुक्त व्यापार समझौते के उन्नत संस्करणों पर तेजी से काम होना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देशों को परस्पर सहयोग और आपसी विश्वास को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की जरूरत है।
भारत के लिए क्या मायने?
SCO सम्मेलन में जारी संयुक्त बयान में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र हुआ था, जो भारत के लिए एक अहम कूटनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं का चीन में इस तरह सक्रिय होना कई सवाल खड़े करता है।
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