Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान के शहरों जैसे कराची लाहौर और पेशावर में थोड़ी सी वर्षा भी बाढ़ जैसी स्थिति बना देती है। भारी जनसंख्या की वजह से आवास की कमी है और कृषि भूमि सिकुड़ रही है। जलवायु परिवर्तन तथा आर्थिक दबाव अलग से मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। परिणामस्वरूप आधारभूत सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही हैं। पांच वर्ष से कम उम्र के चालीस प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं जबकि प्रसव के समय हर वर्ष ग्यारह हजार महिलाओं की जान जाती है।
बच्चों और युवाओं का भविष्य खतरे में
कुपोषण से पीड़ित बच्चे बड़े होकर बेरोजगारी की मार झेलते हैं। हर क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। गर्भनिरोधक साधनों का कम उपयोग कट्टर सोच की वजह से हो रहा है जो जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं पोलियो दवा का विरोध भी इसी सोच से जुड़ा है जिससे देश में पोलियो के मामले सामने आते रहते हैं। डॉन अखबार की रिपोर्ट बताती है कि इतनी बड़ी आबादी से पूरी व्यवस्था हिल सकती है।
भविष्य में और बड़ी चुनौतियां
वर्तमान में पाकिस्तान की जनसंख्या 241.5 मिलियन है जो अगले पांच वर्षों में तीन सौ मिलियन तक पहुंच जाएगी। वर्ष 2050 तक यह चालीस करोड़ हो सकती है। इतनी विशाल आबादी छोटे देश के लिए भारी संकट बन सकती है। यहां प्रजनन दर 3.6 है जो भारत की तुलना में दोगुनी है। दक्षिण एशिया में किसी अन्य राष्ट्र की वृद्धि दर इतनी ऊंची नहीं जबकि अफ्रीकी देशों में ही ऐसी रफ्तार दिखती है।
_1251310932_100x75.jpg)
_1154588006_100x75.jpg)
_884485406_100x75.jpg)
_1545326548_100x75.jpg)
_1080068194_100x75.jpg)