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पड़ोसी पाकिस्तान बीते काफी महीनों से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान IMF से आर्थिक सहायता मांग रहा है। IMF की टीम फरवरी में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लौटी थी। उन्होंने तब संकट में पाकिस्तान को कर्ज देने का कोई ठोस वादा नहीं किया था, मगर उन्होंने भरोसा जरूर जताया था कि कुछ तो किया जाएगा. IMF ने स्टाफ स्तर के समझौते पर चर्चा जारी रखने और कर्ज देने की बात कही थी। एक पाकिस्तानी अफसर ने कहा, "हम IMF के सदस्य देश हैं, मगर हमारे साथ भिखारियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।"

पाक IMF की शर्तों पर काम कर रहा है, मगर अभी तक कर्ज की किस्त नहीं मिली है। पाकिस्तान सरकार के अधिकारी IMF की कार्यप्रणाली से चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि IMF गलत कर रहा है और कर्ज जारी करने के लिए तय की गई 4 शर्तों में भी बदलाव किया है। इसलिए पाकिस्तान सरकार थोड़ी चिंतित है, जिससे पाकिस्तान ने IMF की आलोचना की है।

इस वजह से IMF नहीं दे रहा कर्ज

अफसरों ने कहा कि 'हम IMF के सदस्य देश हैं, कोई भिखारी नहीं हैं। यदि आप ऐसा महसूस करते हैं, तो कृपया हमसे सदस्यता समाप्त करें।' देश के हालात 1998 की याद दिला रहे हैं, जब परमाणु परीक्षणों के बाद आर्थिक संकट गहरा गया था। IMF तो बस इतना कह रहा है कि ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे गरीबों को फायदा हो। मगर वे खुद हम पर ऐसी नीतियों के लिए दबाव बना रहे हैं, जिससे केवल निम्न आय वर्ग के लोगों को नुकसान होगा।

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