img

Up Kiran, Digital Desk: यूपी में स्कूलों के विलय के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन निरंतर जारी हैं। राजधानी लखनऊ में 14 जुलाई को समाजवादी पार्टी के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और 15 जुलाई को अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष पल्लवी पटेल एवं उनके कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया। नावेल्टी चौराहे से विधानसभा की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोक लिया, जिसके कारण पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक हुई। इस दौरान पल्लवी पटेल ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार की नीतियों से लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, विशेषकर शोषित और वंचित वर्ग के विरुद्ध।

पल्लवी पटेल ने आरोप लगाया कि भारतीय लोकतंत्र और संविधान के अनुसार हर नागरिक को शिक्षा मिलनी चाहिए और योग्यतानुसार रोजगार का अधिकार होना चाहिए। लेकिन वर्तमान सरकार की नीतियों से यह स्पष्ट हो रहा है कि लोकतंत्र के अधिकारों को गरीबों और वंचितों के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा है।

अपना दल कमेरावादी चीफ ने ये भी कहा कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है। पहले सरकारी संस्थाओं को घाटे में दिखाकर भर्तियां रोक दी गईं, फिर निजीकरण की बात करते हुए ठेके पर स्कूल चलाए जा रहे हैं। अब 27746 परिषदीय स्कूलों को बंद किया जा रहा है, जो खासकर गांवों में गरीब बच्चों के लिए होते हैं। उन्होंने इसे 'राइट टू एजुकेशन' के विरुद्ध बताया।

वहीं, सरकार का कहना है कि स्कूलों के विलय से अभिभावकों और छात्रों के हित में सुधार होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा और जो स्कूल बंद हो रहे हैं, वहां आंगनवाड़ी केंद्र खोले जाएंगे।

--Advertisement--