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देश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में तमाम प्रयासों के बावजूद पुलिस विभाग में महिलाओं की भागीदारी अब भी बेहद कम है। 'इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025' के अनुसार, वरिष्ठ पुलिस पदों जैसे डीजीपी और एसपी स्तर पर देशभर में महज 1,000 से भी कम महिलाएं हैं। वहीं, कुल महिला पुलिसकर्मियों में से 90 प्रतिशत से अधिक महिलाएं कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं।

यह रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट द्वारा विभिन्न नागरिक समाज संगठनों और डेटा भागीदारों की सहायता से तैयार की गई है, जिसमें पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता के क्षेत्र में राज्यों की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।

वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की बेहद कम भागीदारी

देशभर में पुलिस विभाग में कुल 2.4 लाख महिला पुलिसकर्मी हैं।

इनमें से सिर्फ 960 महिलाएं आईपीएस रैंक पर कार्यरत हैं।

24,322 महिलाएं डीएसपी, इंस्पेक्टर या सब-इंस्पेक्टर जैसे गैर-आईपीएस पदों पर हैं।

शेष करीब 2.17 लाख महिलाएं कांस्टेबल के रूप में सेवाएं दे रही हैं।

रिपोर्ट यह दर्शाती है कि लैंगिक संतुलन के लक्ष्य को कोई भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश अब तक पूरा नहीं कर पाया है।

मध्य प्रदेश में डीएसपी स्तर पर सर्वाधिक महिलाएं

मध्य प्रदेश में डीएसपी पद पर 133 महिला अधिकारी कार्यरत हैं, जो किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं।

महिला सुरक्षा के लिए बुनियादी सुविधाएं

78 प्रतिशत पुलिस थानों में अब महिला हेल्प डेस्क की व्यवस्था है।

86 प्रतिशत जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है।

कानूनी सहायता के क्षेत्र में प्रति व्यक्ति खर्च 2019 से 2023 के बीच दोगुना होकर 6.46 रुपये तक पहुंच गया है।

न्यायपालिका में महिलाओं की स्थिति

जिला न्यायपालिका में महिलाओं की हिस्सेदारी अब 38 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।

हालांकि, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग की भागीदारी अब भी कम है:

अनुसूचित जाति: 14 प्रतिशत

अनुसूचित जनजाति: 5 प्रतिशत